राष्ट्र संवाद संवाददाता
नई दिल्ली : जयघोष फाउंडेशन, दिल्ली-एनसीआर ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के नागरिक श्री दीपु चंद्र दास की निर्मम और अमानवीय हत्या की कड़े शब्दों में निंदा की है। फाउंडेशन ने इस घटना को मात्र एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि धार्मिक पहचान के आधार पर किया गया गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन बताया है। संगठन के अनुसार यह घटना बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार बढ़ रही हिंसा और उत्पीड़न की भयावह सच्चाई को उजागर करती है।
फाउंडेशन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार दीपु चंद्र दास एक शांतिप्रिय, कानून का पालन करने वाले सामान्य नागरिक थे, जिन्हें अत्यधिक क्रूरता के साथ मौत के घाट उतारा गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में वहां का राज्य तंत्र विफल साबित हो रहा है। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि ऐसे मामलों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कठोर प्रतिक्रिया नहीं हुई, तो हिंसा को और बढ़ावा मिलेगा।
जयघोष फाउंडेशन ने दीपु चंद्र दास की हत्या की स्वतंत्र, निष्पक्ष और समयबद्ध जांच कराने, सभी दोषियों को कानून के तहत कठोरतम सजा देने, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार निगरानी सुनिश्चित करने तथा हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। इसके साथ ही भारत सरकार, संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक मानवाधिकार संगठनों से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की अपील की गई है।
फाउंडेशन ने दिवंगत दीपु चंद्र दास के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक किसी भी देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं होंगे, तब तक उस राष्ट्र के नैतिक दावों का कोई महत्व नहीं रह जाता। संगठन ने मीडिया, नागरिक समाज और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भी आग्रह किया है कि वे इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर आवाज बुलंद करें और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में भूमिका निभाएं।

