अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस प्रदर्शनी भाषाओं की सरगम सुनाती है
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कलानिधि प्रभाग और अकादमिक इकाई ने प्रदर्शनी ‘अक्षर शब्द भाषा’ का आयोजन किया है, जो भारत की भाषाई विविधता का उत्सव मनाती है। यह प्रदर्शनी हमारी सांस्कृतिक विरासत को परिभाषित करने वाली भाषाओं, लिपियों और शब्दों की समृद्धि का पुनर्पाठ करती है। आईजीएनसीए के भूतल पर स्थित कला दीर्घा ‘दर्शनम-1’ और ‘दर्शनम-1’ तथा गलियारे में आयोजित यह प्रदर्शनी 29 फरवरी तक चलेगी।
प्रदर्शनी का उद्घाटन केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री लिली पांडेय, आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, यूनेस्को के नई दिल्ली स्थित क्षेत्रीय कार्यालय की वरिष्ठ जेंडर स्पेशलिस्ट डॉ. हुमा मसूद, आईजीएनसीए की निदेशक (प्रशासन) डॉ. प्रियंका मिश्रा और डीन (प्रशासन) प्रो. रमेश चंद्र गौर ने किया।
आईजीएनसीए की दो मुख्य दीर्घाओं ‘दर्शनम-1’ और ‘दर्शनम-1’ तथा जीवंत गलियारों में लगी यह प्रदर्शनी मातृभाषाओं की भावना और महत्व तथा समाज के क्रमिक विकास में उनकी सूक्ष्म भूमिका को प्रदर्शित करती है। दर्शनम-2 गैलरी में भारत की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में 22 कोट का संग्रह है। ये कोट हर भाषा के बारे में कुछ कुछ कहते हैं। वहीं दर्शनम-1 और गलियारे दर्शकों को गहन और विशिष्ट अनुभूति कराते हैं।
‘अक्षर शब्द भाषा’ प्रदर्शनी का उद्देश्य मातृभाषाओं के महत्व को सामने लाने और लुप्तप्राय भाषाओं को संरक्षित करने की आवश्यकता को रेखांकित करना है। यह प्रदर्शनी आईजीएनसीए के कलानिधि प्रभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस उत्सव का एक आकर्षक हिस्सा है।