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    “अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल-221”: साहित्यकार की नजर में विश्व मगही परिषद् पर परिचर्चा व कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन

    Devanand SinghBy Devanand SinghDecember 30, 2024No Comments5 Mins Read
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    “अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल-221”: साहित्यकार की नजर में विश्व मगही परिषद् पर परिचर्चा व कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन
    मगही भाषा केवल हमारी पहचान नहीं है, यह हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति है-“मगही रत्न” राम रतन सिंह ‘रत्नाकर’
    विश्व मगही परिषद् के तत्वावधान में “अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल-221” का भव्य आयोजन आज शाम 6:00 बजे से आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय “साहित्यकार की नजर में विश्व मगही परिषद्” पर परिचर्चा और कवि सम्मेलन था। यह आयोजन साहित्य, संस्कृति और काव्य के विविध रंगों का संगम था, जिसमें मगही भाषा, साहित्य और संस्कृति से जुड़े प्रसिद्ध साहित्यकारों, कवियों और विद्वानों ने भाग लिया।
    कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, मगही मनीषी “मगही रत्न” राम रतन सिंह ‘रत्नाकर’ जी, ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा कि मगध क्षेत्र में दर्जनों मगही संगठनों के सक्रिय होने के बावजूद, इन सभी संगठनों को आपस में समन्वय और एकता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विश्व मगही परिषद्, अपनी स्थापना के दिन से ही मगही भाषा के विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है। यह परिषद् मगध क्षेत्र के सभी संस्थाओं और साहित्यकारों को साथ लेकर चल रही है और दिन-रात मगही भाषा को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।

     

    रत्नाकर जी ने कहा, “सही मायनों में विश्व मगही परिषद् वह एकमात्र संस्था है, जो मगही भाषा के विश्वभर में प्रचार-प्रसार और इसके विकास में पूरी तत्परता के साथ जुटी हुई है। मैं इस अद्वितीय योगदान के लिए परिषद् के सभी पदाधिकारियों को दिल से बधाई देता हूं।”
    उन्होंने अपने वक्तव्य में बिहार सरकार की नीतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि बिहार सरकार ने मगही और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों की बहाली की घोषणा तो की है, लेकिन मगही भाषा के शिक्षक उतनी संख्या में नहीं नियुक्त किए जा रहे हैं, जितनी आवश्यकता है। यह स्थिति मगही भाषा और इसके विकास के लिए एक बड़ी बाधा है। उन्होंने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने और उचित कदम उठाने का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि डॉ पुष्पिता अवस्थी ,नीदरलैंड्स से उपस्थित हुई, उन्होंने कहा कि इस अद्वितीय आयोजन ने मगही भाषा और साहित्य के संवर्द्धन के साथ-साथ इसे वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालमणि विक्रांत जी ने की। कार्यक्रम का संचालन और तकनीकी सहयोग प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण, अंतरराष्ट्रीय महासचिव, विश्व मगही परिषद् द्वारा किया गया। कार्यक्रम में निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर चर्चा और प्रस्तुतियां हुईं:

     

     

    मुख्य बिंदु: मगही साहित्य के प्रति साहित्यकारों की दृष्टि: साहित्यकारों और विद्वानों ने मगही भाषा की प्राचीनता, समृद्ध परंपराओं और वर्तमान में इसकी भूमिका पर अपने विचार साझा किए। कवि सम्मेलन: प्रख्यात कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से मगही की मिठास, संस्कृति और सामूहिक चेतना का चित्रण किया। उनकी कविताओं ने श्रोताओं को मगही भाषा और उसकी सांस्कृतिक धरोहर से भावनात्मक रूप से जोड़ा। मगही भाषा और साहित्य का अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य:परिषद् द्वारा मगही भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर विस्तृत चर्चा की गई। मगही चौपाल की महत्ता: “अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल” को मगही भाषा, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने का एक प्रमुख मंच बताया गया।
    मगही गीत सम्राट श्री जयप्रकाश बाबू भी मगध गौरव गीत गाकर अपनी उपस्थति दर्ज कराई । कविवर मगही भूषण राजकुमार के काव्य पाठ करते हुए कहा कि मन के नञ मनझान बनइहऽ, बढ़ते जइहऽ। हकऽ मगहिया, चौक्का-छक्का जड़ते जइहऽ।।
    सम्मेलन में देश-विदेश से दो दर्जन से अधिक विश्व मगही परिषद् के कार्यकारिणी सदस्य और मगही प्रेमी उपस्थित रहे। सम्मेलन में भाग लेने वालों में मगही के प्रमुख कवि, कवयित्री, लोकगायक, समाजसेवी, साहित्यकार और पत्रकार शामिल हुए। नवादा जिले से हिंदी और मगही के साहित्यकार श्री जयनंदन सिंह , डॉ. शिवेंद्र नारायण सिंह, निवेदिता सिंह ,चीन से प्रो राजीव रंजन और डॉ अम्बुज कुमार एथोपिआ की विशेष उपस्थिति रही।

     

    नवादा जिले से समाजसेवी सह साहित्यकार ललित कुमार शर्मा , नीता सिंह पुतुल , शेखपुरा से डॉ किरण कुमारी शर्मा , दिल्ली से समाजसेवी श्रीमती रंजना कुमारी , इंजीनियर साहब कुमार यादव ,पुणे महाराष्ट्र से प्रेम प्रणव , भागलपुर से साहित्यकार, कवि और गीतकार राजकुमार, लखीसराय से डॉ. राजेंद्र राज और डॉ चंदेश्वर सिंह , नालंदा से श्री जयराम देवसपुरी धनबाद से डॉ. सत्यनारायण प्रसाद टंडन सहित अन्य राज्यों से भी मगही प्रेमी शामिल हुए।
    प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण, भारतीय वास्तुकार, लेखक, कवि और प्रेरक वक्ता, जो विश्व मगही परिषद् के अंतरराष्ट्रीय महासचिव हैं, ने इस अवसर पर कहा: “जय मगध, जय मगही, जय विश्व मगही परिषद्। मगही भाषा केवल हमारी पहचान नहीं है, यह हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति है। ‘अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल-221’ के माध्यम से हम दुनिया भर में मगही के महत्व को प्रदर्शित करेंगे।”
    उन्होंने विश्व मगही परिषद् की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि परिषद् का उद्देश्य मगही साहित्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है। इस कार्यक्रम के माध्यम से मगही भाषा और साहित्य के संरक्षक और प्रचारक के रूप में परिषद् अपनी भूमिका निभा रही है।
    साहित्यिक विमर्श: प्रमुख साहित्यकारों ने मगही भाषा की अद्वितीयता और इसकी समृद्ध परंपराओं पर अपने विचार साझा किए।
    काव्य पाठ: प्रख्यात कवियों द्वारा प्रस्तुत कविताओं ने श्रोताओं को मगही संस्कृति की गहराई और सौंदर्य से परिचित कराया।
    संस्कृति का उत्सव: कार्यक्रम में मगही भाषा और संस्कृति से जुड़ी विभिन्न प्रस्तुतियां शामिल थीं, जिन्होंने इस आयोजन को एक सांस्कृतिक उत्सव का रूप दिया।

     

    अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालमणि विक्रांत जी ने विश्व मगही परिषद् के सभी साहित्य प्रेमियों, कवियों और विद्वानों को इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद किया। परिषद् ने अपने संदेश में कहा: “आइए, मिलकर मगही भाषा और संस्कृति के उज्ज्वल भविष्य का हिस्सा बनें। मगही भाषा हमारी पहचान है, और इसके संवर्द्धन में हमारा योगदान इसका सम्मान है।”
    “अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल-221” ने एक बार फिर यह साबित किया कि मगही भाषा और साहित्य केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी पहचान और आत्मा का अभिन्न हिस्सा हैं। इस आयोजन ने मगही भाषा को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने के प्रति सभी को प्रेरित किया।

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