भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का निधन, हरित क्रांति के जनक के रूप में थे मशहूर
भारत के जाने-माने वैज्ञानिक एमएस हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को निधन हो गया है। हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन ने 98 साल की उम्र में तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में अंतिम सांस ली। लंबी उम्र के कारण उनको काफी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां थीं। प्रोफेसर स्वामीनाथन एक प्रसिद्ध कृषि विज्ञानी थे, जिन्हें भारत में गेहूं और चावल की उच्च उपज देने वाली किस्मों को पैदा करने और इन उपभेदों को और विकसित करने का श्रेय दिया जाता है।
अमरीकी वैज्ञानिक के साथ किया था काम
कृषि विभाग में वैज्ञानिक रहे स्वामीनाथन ने 1972 से 1979 तक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया था। भारत को अकाल से बचाने और खाद्यान सुरक्षा दिलाने के लिए उन्होंने अमरीकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग के साथ 1960 के दशक में काम किया था।
कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता है। वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना। इसके कारण भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई। स्वामीनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनको पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) महत्वपूर्ण सम्मान मिल चुके हैं।