टीएमएच में मरीजों के हालात क्यों हो रहे हैं बद से बदतर?
राष्ट्र संवाद को मिली एक्सक्लूसिव वीडियो करती इसका खुलासा
सूत्रों की माने तो जो वीडियो वायरल हुआ है उसे जांच टीम में शामिल एक डॉक्टर ने सोशल मीडिया में करवाया है वायरल
टीएमएच में कोरोना मरीजों की लगातार हो रही मौतों ने कई सवाल खड़े किए. नतीजन जिला उपायुक्त के निर्देश पर जिले के सिविल सर्जन ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया इस टीम ने टीएमएच पहुंचकर कारणों की जांच की जांच की रिपोर्ट सिविल सर्जन तक पहुंच चुकी है. रिपोर्ट में क्या है यह तो कहा नहीं जा सकता है, लेकिन इतना तय है कि टीएमएच में इलाज के नाम पर स्थिति भयावह है. मरीजों का सही ढंग से इलाज नहीं हो पा रहा है.
मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के सपनों को साकार कीजिए सिविल सर्जन साहब! चाटूकारों के कॉकस से बाहर निकलिए
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कहीं भ्रष्टाचारी के समझदारी का शिकार तो नहीं हैं सिविल सर्जन!
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आपकी जवाबदेही बड़ी है जनता भी देख रही है आपकी तरफ
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वर्ना दामन तक इसकी आंच आने में देर नहीं लगेंगी
रखरखाव की व्यवस्था बेहद खराब है. समय पर डॉक्टर नहीं आते हैं. मरीजों को दवा नहीं मिल रहा है. इतना ही नहीं साफ सफाई की भी व्यवस्था लचर है. अस्पताल मैं मरीजों की स्थिति की एक एक्सक्लूसिव रिकॉर्डिंग मिली है जो इलाज की लचर व्यवस्था की गवाह है. रिकॉर्डिंग में एक महिला मरीज रात के 11:30 से 12:00 के बीच रात ड्यूटी में तैनात एक नर्स के पास पहुंचती है. वह नर्स से शिकायत करते हुए कहती है कि आज कोई डॉक्टर रनिंग में नहीं आया. ना तो उसे दवा मिल पायी है. वह अपनी परेशानी डॉक्टर को बताना चाहती है लेकिन उसकी कोई सुनने वाला नहीं है. मरीज यह जानना चाहती है कि डॉक्टर कब आएंगे या नहीं आएंगे. लेकिन नर्स उसे कुछ नहीं बता पा रही है. हालात ऐसे रहे तो इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले दिनों में हालात बेकाबू होंगे. दूसरी महिला मरीज शिकायत लेकर ड्यूटी में तैनात नर्स से कहती है कि उसे कोई मेडिसिन नहीं मिला है. उसे कोरोना का कोई लक्षण नहीं था. वह इलाज के लिए टीएमएच आई थी जिसे भर्ती कर लिया गया. जांच हुआ तो वह और उसकी एक मासूम बच्ची दोनों पॉजिटिव पा लिए गए. महिला का कहना है कि उसे और उसकी बेटी को कोरोना सेंटर में रखा गया. लेकिन उसे दवा के नाम पर कुछ नहीं मिलता है. यहां तक कि पेरासिटामोल भी नहीं मिलता है. आखिर उसे यहां क्यों रखा गया है. जब न कोई दवा दी जाती है और ना उसका कोई ध्यान और ख्याल रखा जाता है. न डॉक्टर पूछने आता है ना नर्स पूछने आती है. यही हाल हॉस्पिटल में इलाज रत कैंसर मरीज की है. वह बेड पर ही टॉयलेट करता है. वह उसी मैली चादर में लिपटा रहता है. पूरे वार्ड में बदबू फैली रहती है. लेकिन साफ सफाई के नाम पर कुछ नहीं है. पूरे वार्ड के मरीज दुर्गंध से परेशान है. व्यवस्था का आलम यह है कि लोग नाक बंद कर इधर से उधर भागते हैं. कोरोना संक्रमण के इस दौर में हॉस्पिटल में भर्ती दूसरे रोगों के मरीजों का इलाज भी सही ढंग से नहीं हो पा रहा है. एक महिला मरीज की शिकायत है की मेडिसिन वार्ड में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गंदगी की शिकायत करने पर कोई सुनने वाला नहीं है. कोई मरीज अगर बेड पर टॉयलेट कर दिया तो उसके बेडशीट को उठाकर बेड के नीचे रख दिया जाता है उसे हटाने तक कोई नहीं आता. शिकायत करने पर कोई सुनने वाला भी नहीं है. ऐसी स्थिति में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. मरीजों का कोई हाल-चाल पूछने वाला भी नहीं है. महिला मरीज का कहना है कि सुबह में डॉक्टर आते हैं. एक टाइम दवा दे दी जाती है. उसके बाद कोई नहीं आता है. कोरोना मरीज के वेड तक डॉक्टर और नर्स नहीं आते हैं. हालात से समझौता कर रहना पड़ रहा है. स्थिति है कि छुट्टी भी नहीं मिलती है. आप घर नहीं जा सकते हैं. जानकारी हो कि जिला प्रशासन की पहल पर सिविल सर्जन द्वारा गठित मेडिकल टीम ने टीएमएच में कोरोना मरीजों की लगातार हो रही मौतों की जांच की रिपोर्ट जिला सिविल सर्जन को सौंप चुकी है, लेकिन सिविल सर्जन आरएन झा का कहना है कि उन्होंने रिपोर्ट अब तक नहीं देखी है. यह तो लापरवाही की हद है. जहां स्थिति भयावह रूप लेती जा रही है. कोरोना संक्रमण काफी तेज गति से फैल रहा है. टीएमएच में मौत का सिलसिला जारी है, और अब तक रिपोर्ट सिविल सर्जन ने देखी भी नहीं है कि आखिर इतनी मौतें क्यों हो रही है, टीएमएच में. ऐसे में रिपोर्ट की सत्यता और उस पर कार्रवाई की उम्मीद कितनी की जाए यह आप खुद समझ सकते हैं.
दूसरी तरफ टीएमएच प्रबंधन ने हो रहे मौतों पर अपनी सफाई में कहा है कि मात्र 12 मौतें कोरोना से हुई है