- राजस्थानी परिधान में सजधज कर 2000 से अधिक महिलाएं हुई शामिल
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जमशेदपुर : मारवाड़ी सम्मेलन साकची शाखा द्वारा आज गणगौर महोत्सव का आयोजन मानगो स्वर्णरेखा नदी पर किया गया। मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने सामूहिक गणगौर विर्सजन किया। मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष बजरंग लाल अग्रवाल ने बताया की गणगौर पर्व मारवाड़ी समाज का प्रमुख त्योहारों लोक पर्व में से एक है। गणगौर पूजा हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को होती है इस दिन कुंवारी कन्या और सुहागन महिलाएं व्रत रखती है। माता पार्वती और साथ भगवान शिव की पूजा करती है। गणगौर दो शब्दों से बना है गण का अर्थ भगवान शिव और गौर का अर्थ पार्वती से है। वास्तव में गणगौर पूजन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन नवरात्रि के तीसरे दिन यानी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला गणगौर का त्योहार स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है। गणगौर का पहला और सबसे महत्वपूर्ण परंपरा मिट्टी के बर्तनों कुंडा में पवित्र अग्नि से राख इकट्ठा करना और उनमें गेहूं और जौ के बीज बोना है तथा 7 दिनों के बाद महिलाएं राजस्थानी लोकगीतों को मंत्रमुग्ध करते हुए गौरी और ईसर की रंग बिरंगी मूर्ति बनाती है। मान्यता है कि कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शंकर की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर लिया तथा उन्हीं के तीसरे नेत्र से भस्म हुए अपने पति को पुन: जीवन देने की प्रार्थना की रति की प्रार्थना से प्रसन्न हो भगवान शिव ने कामदेव को पुनः जीवित कर दिया था तथा विष्णु लोक जाने का वरदान दिया उसी के स्मृति में प्रतिवर्ष गणगौर का उत्सव मनाया जाता है। गणगौर पर्व पर विवाह के समस्त नेगाचार व रस्में की जाती है। होली के दूसरे दिन से प्रारंभ होकर 16 दिनों तक गणगौर पर्व चलता है। जिसका आज गणगौर विसर्जन के साथ संपन्न हुई। मुख्य रूप से समाजसेविका श्रीमती सुधा गुप्ता उपस्थित थी।