एक मित्र की फेसबुक से :होटल मालिक और वेटर को “श्रेष्ठ नागरिक” सम्मान
एक फटी हुई धोती और जर्जर कमीज पहने एक व्यक्ति अपनी लगभग 15-16 साल की बेटी के साथ शहर के सबसे बड़े होटल में पहुंचा। दोनों एक टेबल पर बैठ गए। वेटर आया, उसने उन्हें दो गिलास ठंडा पानी परोसा और मुस्कुराते हुए पूछा, “आप क्या लेना चाहेंगे?”
व्यक्ति ने विनम्रता से जवाब दिया, “मैंने अपनी बेटी से वादा किया था कि अगर वह दसवीं कक्षा में जिले में टॉप करेगी, तो मैं उसे इस होटल में डोसा खिलाऊंगा। इसने अपना वादा निभाया है, अब मेरी बारी है। कृपया एक डोसा ले आइए।”
वेटर ने पूछा, “आपके लिए कुछ नहीं?”
व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरे पास सिर्फ एक डोसे के पैसे हैं।”
वेटर भावुक हो गया और सीधे होटल मालिक के पास पहुंचा। पूरी बात बताकर बोला, “मैं चाहता हूं कि इन दोनों को भरपेट नाश्ता कराया जाए। आप बिल मेरी सैलरी से काट लीजिए।”
मालिक ने कहानी सुनी और मुस्कराते हुए कहा, “आज इस होनहार बेटी की सफलता का जश्न होटल की तरफ से होगा।”
होटल स्टाफ ने टेबल को खूबसूरती से सजाया और बेटी के लिए खास व्यंजन परोसे। मालिक ने न सिर्फ उन्हें सम्मानपूर्वक भोजन कराया, बल्कि उपहार में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले के लिए मिठाई भी भिजवाई। यह अपनापन देखकर पिता और बेटी की आंखें भर आईं।
सालों बाद, वही बेटी I.A.S. की परीक्षा पास कर उसी शहर की कलेक्टर बन गई। उसने होटल मालिक को संदेश भिजवाया कि कलेक्टर साहिबा नाश्ता करने आ रही हैं।
होटल फिर उसी गर्मजोशी से तैयार हुआ। जब कलेक्टर अपने माता-पिता के साथ पहुंचीं, सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। लड़की ने आगे बढ़कर होटल मालिक और वेटर के सामने सिर झुकाते हुए कहा, “मैं वही लड़की हूं, जिसके पिता उस दिन सिर्फ एक डोसे के पैसे लेकर आए थे। आप दोनों ने मेरे आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुंचाई, बल्कि मेरी सफलता का जश्न मनाया। आज जो कुछ भी हूं, आपकी उस इंसानियत की वजह से हूं।”
उसने आगे कहा, “आज इस होटल का पूरा खर्च मेरी तरफ से है। सभी ग्राहकों और स्टाफ का बिल मैं दूंगी।”
साथ ही यह घोषणा की गई कि होटल मालिक और वेटर को “श्रेष्ठ नागरिक” सम्मान से नवाजा जाएगा।
याद रखिए — किसी की गरीबी पर हँसने से बेहतर है उसकी मेहनत को सलाम करना। आपकी छोटी-सी मदद, किसी के भविष्य की नींव बन सकती है।