नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा किए जाने के बाद किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने उनके नाम एक संदेश जारी किया. इसके जरिये मोर्चे ने पीएम मोदी से अपनी तीन अन्य पुरानी मांगों सहित तीन अन्य मांगों को रखते हुए कहा कि केवल तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना ही इस आंदोलन की एकमात्र मांग नहीं थी. बल्कि उक्त मांगों का समाधान भी सरकार से किसान चाहते हैं. किसानों ने स्पष्ट कहा कि हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं. सरकार हमसे समाधान के लिए इन मुद्दों पर वार्ता करें. वरना आंदोलन जारी रहेगा संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार शाम को पीएम मोदी के नाम एक संदेश किया. इसमें कहा गया कि देश के करोड़ों किसानों ने 19 नवंबर 2021 की सुबह राष्ट्र के नाम आपका संदेश सुना. हमने गौर किया कि 11 राउंड वार्ता के बाद आपने द्विपक्षीय समाधान की बजाय एकतरफा घोषणा का रास्ता चुना, लेकिन हमें खुशी है कि आपने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है. हम इस घोषणा का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपकी सरकार इस वचन को जल्द से जल्द और पूरी तरह निभाएगी.
मोर्चा ने कहा कि ‘आप भली-भांति जानते हैं कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करना इस आंदोलन की एकमात्र मांग नहीं है. संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के साथ वार्ता की शुरुआत से ही तीन और मांगें उठाई थीं. जोकि उपरोक्त हैं… अपनी इन मांगों को दोहराते हुए किसान मोर्चा ने कहा कि खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए, ताकि देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके.
मोर्चा की ओर से आगे कहा गया कि सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021 का ड्राफ्ट वापस लिया जाए. उनकी तरफ से कहा गया कि वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था. इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021 में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए.
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री से कहा कि आपके संबोधन में इन बड़ी मांगों पर ठोस घोषणा ना होने से किसानों को निराशा हुई है. किसानों ने उम्मीद लगाई थी की इस ऐतिहासिक आंदोलन से न सिर्फ तीन कानूनों की बला टलेगी, बल्कि उसे अपनी मेहनत के दाम की कानूनी गारंटी भी मिलेगी.
दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है. इन केसों को तत्काल वापस लिया जाए. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी आज भी खुले घूम रहे हैं और मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं. वह अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं. उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए. इस आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं. उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो. शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंधू बॉर्डर पर जमीन दी जाए.
किसान मोर्चा ने साफ कहा कि ‘प्रधानमंत्री जी, आपने किसानों से अपील की है कि अब हम घर वापस चले जाए. हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं है. हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इन बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती बाड़ी में वापस लौटे. अगर आप भी यही चाहते हैं तो सरकार उपरोक्त छह मुद्दों पर अविलंब संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता शुरू करे. तब तक संयुक्त किसान मोर्चा अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इस आंदोलन को जारी रखेगा’.