राष्ट्र संवाद नजरिया : जिला प्रशासन और अखाड़ा समितियों के बीच संवादहीनता के लिए जिम्मेदार कौन ? प्रभावहीन हैं केंद्रीय शांति समिति और सद्भावना समिति
देवानंद सिंह

डीसी और एसएसपी की टीमें आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करवा रहीं थीं I ऐसे में, इन्हें दोषी ठहराना कहां का न्याय है?

ब्रह्मर्षि बिकास मंच,जमशेदपुर ने शहर वासियों का जताया आभार
जमशेदपुर में जिला प्रशाशन और आखड़ा समितियों के बीच आखड़ा जुलुस को निकाले जाने को लेकर हुआ विवाद शुक्रवार शाम को हुई बैठक के बाद समाप्त हो गया, इसके बाद आखड़ा जुलुस निकाले जाने पर सहमति बन गई। दीगर बात है कि विसर्जन के दौरान ट्रेलर और डीजे नहीं इस्तेमाल करने को लेकर विवाद हुआ था, और आखड़ा समितियों ने आखड़ा जुलुस नहीं निकालने और शनिवार यानी आज जमशेदपुर बंदी का ऐलान किया था, इसके बाद देर शाम को परिसदन में जिला प्रशाशन और आखड़ा समितियों के बीच बैठक हुई, जहां जिले के सांसद विद्युत वरण महतो भी मौजूद रहे, इस दौरान तमाम बंदिशों को हटाते हुए आखड़ा जुलुस को निकाले जाने पर सहमति बनी और दूसरी तरफ, विश्व हिंदू परिषद के द्वारा कल बुलाई गई बंदी को वापस लिया और उससे संबंधित वीडियो भी जारी किया।
कल की घटना से निश्चित ही लाखों राम भक्तों की भावना आहत हुई है। अब सत्ता के शीर्ष पर बैठे कुछ लोग सोशल मीडिया में निहायत ही गैर जिम्मेदाराना बयान देकर सामाजिक सौहार्द्र और शांति पूर्ण वातावरण में ज़हर घोलने का घृणित प्रयास कर रहे हैं I ये लोग निहित स्वार्थ पूर्ति के लिए उलूल-जुलूल बयान दे रहे हैं, जो सर्वथा अनुपयुक्त और निंदनीय है I प्रशासनिक पदाधिकारियों को नाहक ही कोपभाजन बनाया जा रहा है, जिसका कोई मतलब नहीं बनता है, क्योंकि आदेश तो सरकारों का होता है, प्रशासनिक पदाधिकारियों को तो उसका अनुपालन कराना होता है और अन्य प्रकरणों की तरह ही इस प्रकरण पर भी प्रशासिक पदाधिकारियों ने इसी कर्तव्य का पालन किया है।
ब्रह्मर्षि बिकास मंच,जमशेदपुर ने शहर वासियों का जताया आभार
ब्रह्मर्षि विकास मंच ने रामनवमी शोभायात्रा में शामिल सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया है।
मंच के महासचिव श्री अनिल ठाकुर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि कुछ लोग रामनवमी जैसे पावन पर्व में खासकर शोभायात्रा में खलल डालकर अपना उल्लू सीधा करने के फिराक में थे लेकिन जमशेदपुर के शान्ति प्रिय लोगों तथा प्रशासन की सूझ बुझ से वैसे लोगों की मनसा सफल नहीं हो पाई, उन्होंने शहर की जनता के अलावा सभी अखाड़ा संचालको, बुद्धिजीवियों के साथ साथ उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक एवं प्रेस मीडिया के सभी लोगों का भी आभार जताया है जिनकी सूझ बूझ के कारण शोभायात्रा शान्ति पूर्ण ढंग से सम्पन्न हो सकी तथा शहर में उत्साह का माहौल कायम रहा। उन्होंने पूरे शहर वासियों को शांतिपूर्ण ढंग से इस पावन पर्व को मनाने के लिये धन्यवाद दिया ।
जुलूस में बड़ी गाड़ियों के उपयोग और डीजे नहीं बजाने का आदेश सरकार का था, जिसे दृढ़ता पूर्वक पालन करवाना मात्र इन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी। डीसी और एसएसपी की टीमें उसी का अनुपालन सुनिश्चित करवा रहीं थीं I ऐसे में, इन्हें दोषी ठहराना कहां का न्याय है? दोषी तो सरकार, मंत्री और विधायक हैं, जो इस तरह का अविवेक पूर्ण निर्णय लेते हैं और अधिकारियों और जनता पर थोप देते हैं। निश्चित रूप से, प्रशासनिक पदाधिकारियों को इस गतिरोध के लिए जिम्मेदार ठहराना निहायत ही गलत और अनुचित है। इसका नैतिक विरोध होना चाहिए।
इस परिस्थिति में सवाल यह भी उठता है कि आज जो भी तथाकथित हिंदुओं के नेता रामनवमी का जुलूस नहीं निकालने की वकालत कर रहे हैं, पांच दिन पहले जब प्रशासन ने निर्णय सुनाया था कि ट्रेलर का इस्तेमाल नहीं करना है, डीजे नहीं बजाना है, तो उस दिन मीटिंग में प्रतिरोध क्यों नहीं किया गया ? मजे की बात यह है कि उसके बाद भी प्रशासन के साथ बैठकर इस समस्या का निदान तलाशने का प्रयास क्यों नहीं किया गया ? इस सबके बावजूद अंत समय में जुलूस नहीं निकालने का निर्णय सर्वथा अनुचित है। 2021 के दुर्गा पूजा विसर्जन के समय भी इसी तरीके का तुगलकी फरमान जारी किया गया था और आज भी वही किया जा रहा है। क्या यह मान लिया जाए कि जिला प्रशासन और अखाड़ा समितियों के बीच संवादहीनता के लिए जिम्मेदार कौन ? प्रभावहीन हैं केंद्रीय शांति समिति और सद्भावना समिति क्या केंद्रीय शांति समिति सिर्फ व्यक्तिगत लाभ के लिए है?
उधर, रामनवमी पर उपजे विवाद पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने जमशेदपुर के कुछ अधिकारियों को हिंदू भावना को आघात करने के लिए जिम्मेदार माना। उन्होंने कहा कि इसे बिल्कुल बर्दास्त नहीं किया जाएगा। 3 अप्रैल को माननीय मुख्यमंत्री जी के जमशेदपुर आगमन पर ऐसे अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग करूंगा, उन्होंने जमशेदपुर की जनता और रामभक्तों के संयम के लिए आभार व्यक्त किया।
बहरहाल रामनवमी शांतिपूर्वक कड़ी सुरक्षा के बीच सांसद विद्युत वरण महतो और प्रशासनिक सूझबूझ से संपन्न हो गया परंतु इस पर राजनीतिक दल के लोग, हिंदू संगठन से जुड़े मठाधीश और प्रशासनिक पदाधिकारी भी इस पर मंथन करें ताकि आने वाले दिनों में पर्व त्योहार के दिनों में इस तरह की परिस्थिति उत्पन्न नैना हो जिला प्रशासन भी यह सुनिश्चित करे कि केंद्रीय शांति समिति और सद्भावना समिति के लोग कितने कारगर हैं इस मंथन से आने वाले दिनों में जिला प्रशासन को ही फायदा मिलेगा और जमशेदपुर की अमन-चैन पसंद जनता भी शांति महसूस करेगी