मिथिला सांस्कृतिक परिषद जमशेदपुर और साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में मैथिली लोकगीत और लोकगाथा पर हुआ विमर्श
जमशेदपुर- मिथिला सांस्कृतिक परिषद जमशेदपुर और साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में मैथिली लोकगीत और लोकगाथा पर हुआ प्रारंभ हुआ विमर्श लोक साहित्य ही आमजनों का साहित्य है जो अपने समकालीन समाज का वास्तविक स्वरूप प्रस्तुत करता है यह बातें साहित्य अकादमी के भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के उपसचिव डॉ एन सुरेश बाबू ने स्वागत उदबोधन करते हुए कहा मुख्य अतिथि उत्पाद आयुक्त अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि लोकगाथा और लोकगीतों को संरक्षित करने की जरूरत है येही चुकीं शिष्ट साहित्य का मार्ग प्रशस्त करता है संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ विधा नाथ झा विदित ने विस्तार से प्रकाश डाला विषय परवर्तन साहित्य अकादमी के मैथिली संयोजक डॉ अशोक कुमार झा अविचल ने किया
बीज भाषण प्रख्यात साहित्यकार डॉ ओम प्रकाश भारती ने 134 लोकगाथाओं का जिक्र करते हुए कहा कि लोकगीतों और लोकगाथाओं का वैज्ञानिक,
सांस्कृतिक और समाज शास्त्रीय ढंग से अध्ययन की जरूरत है मंच संचालन महासचिव सुजीत कुमार झा और अध्यक्ष शिशिर कुमार झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया अगले दो आलेख सत्र में आठ शोध आलेख डॉ अशोक अविचल की अध्यक्षता में प्रस्तूत किया गया आज प्रथम दिन कुमार मनीष अरविन्द,शिव कुमार झा टुल्लू,रुपम झा,अशोक झा सियाराम झा सरस,
डॉ रवींद्र कुमार चौधरी,प्रथम सत्र में मैथिली लोक साहित्यमे प्रर्यावरण विमर्श ,शिष्ट साहित्यिक आधार रुपमे मैथिली लोक साहित्यक महत्व, जनजीवनमे मैथिली लोकगीतक महत्व, मैथिली लोक गाथामे चित्रित समाज,
दुसरे सत्र में मैथिली लोकगाथामे वर्णित समतामूलक अवधारणा, मैथिली लोकगाथामे वर्णित प्रेमक स्वरूप, मैथिली लोकगाथा सबक भौगोलिक परिक्षेत्र आदि विषयों पर सभी साहित्यकारों के द्वारा आलेख प्रस्तूत किया गया