कशमकश
कभी जीतते हैं खुद से,
कभी हारते हैं खुद को,
इसी जीत-हार की कशमकश का
नाम ज़िन्दगी है।
रिश्ते के कई चेहरे,
चेहरे में कई परतें,
इन सतहों को समझने का
नाम जिन्दगी है।
फिसलती है रेत बन के जितनी भी बंद हो मुट्ठी,
फिर भी जीने की जुस्तजू
का नाम ज़िन्दगी है।
कभी चाहते हैं तुझको,
कभी कोसते हैं खुद को
इसी तकरार की कशमकश का नाम ज़िन्दगी है।
हर मोड़ पे तू छलती है, बदलती है मगर फिर भी
ऐ जिन्दगी,
तुझे चाहने का नाम ज़िन्दगी है।