विधाता की श्रेष्ठ कृतियों में एक थे देशरत्न अटल बिहारी वाजपेयी: राजेश शुक्ल
प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेश कुमार शुक्ल ने कहा है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री देशरत्न अटल बिहारी वाजपेयी विधाता की श्रेष्ठ कृतियों में एक थे। आज के समय मे हर महान व्यक्ति सज्जन नही हुआ करते है लेकिन देशरत्न वाजपेयी में महानता और सज्जनता का दुर्लभ संगम था।
श्री शुक्ल ने आज अटल विकास केंद्र लखनऊ द्वारा देशरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आयोजित वर्चुअल राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की स्वीकृति न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि देशभर के सभी राजनीतिक दलों में सर्व स्वीकार्य नेता के रूप में हुई थी। भारत के विदेश मंत्री बनने के बाद संयुक्त राष्ट्र में पहली बार किसी ने भारत की भाषा हिंदी में भाषण देने का गौरव प्राप्त किया तो वह गौरव अटल जी ने प्राप्त किया।
श्री शुक्ल ने कहा कि अटल जी के जीवन मे बहुत सारे ऐसे पड़ाव है, ऐसे मुकाम है जिसका कई घंटों वर्णन किया जा सकता है। उनकी स्वीकार्यता दलीय सीमा से पार थी।यह उनकी प्रखर राष्ट्रभक्ति के संदर्भ में एक स्वीकृति ही थी।अटल जी ने अपने प्रधानमंत्रित्व कार्य काल मे झारखंड, उत्तराखण्ड, और छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया जो उनके सपनों को पूरा करने में लगे है। भाजपा की राज्य सरकारों ने उनके सपनों को मूर्त रूप दिया । आजादी के बाद पहली बार देश मे जनजातीय मंत्रालय अटल जी की सरकार ने बनाया जिससे जनजातियों का विकास हुआ। देश के इतिहास में अटल जी का नाम सदैव अमर रहेंगा। वे भाजपा के शिखर पुरूष थे और रहेंगे। अटल जी को सदैव अपनी यादों में रखते हुए उनके बताए मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होंगी।
संगोष्ठी का उदघाटन उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और देवरिया के सांसद श्री रमापति राम त्रिपाठी ने किया तथा अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी को उत्तरप्रदेश के विधि मंत्री श्री ब्रजेश पाठक, उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के पूर्व चेयरमैन श्री जानकी शरण पांडेय, प्रोफेसर रमाकांत सिंह, राणा प्रताप शाही, डॉ प्रोफेसर मधु सिन्हा, रामदेव राम, विनीता सिंह, जनकदेव यादव, सहित अनेक विधिवेत्ताओं और शिक्षाविदों ने संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन अटल विकास केंद्र के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री दीपनारायण सिंह ने किया।