स्वास्थ्य विभाग जमशेदपुर: तकरार की पराकाष्ठा
देवानंद सिंह
दरअसल राजनीति के मैदान में कौन कब पलटी मार जाता है आज की तारीख में बहुत मुश्किल है समझना उससे भी ज्यादा मुश्किल है स्वास्थ्य विभाग जमशेदपुर में पदस्थापित कर्मियों की कहानी ऐसे कई संगीन मामले सदर अस्पताल जमशेदपुर में है
जिस पर नजर डालेंगे तो देखने को मिलेगा कि ऐसे भी कई कर्मचारी, डॉक्टर कुंडली मारकर बैठे हैं जिनके आगे सिविल सर्जन भी नतमस्तक रहते हैं पूर्व सिविल सर्जनों की दुर्गति की दास्तान पर नजर डालेंगे तो चौंकाने वाले खुलासे होंगे पूर्व सिविल सर्जन के कार्यकाल के दौरान कई बार ऐसी बात हुई जिससे स्वास्थ्य विभाग के में यह कहा जाने लगा है कि यह तो तकरार की पराकाष्ठा है दो सिविल सर्जनों तो ऐसे भी हुए जिनमें अगर धैर्य की कमी रहती तो इन कर्मचारियों एवं डॉक्टरों की बदौलत कुछ भी अनहोनी हो सकती थी वर्तमान सिविल सर्जन डॉक्टर जुझार माझी भी कमोबेश इन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं
दूसरी सबसे ज्वलंत मुद्दा है डिमना इको सेंसेटिव जोन
का यहां धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं आदिवासियों की जमीन पर और जिला प्रशासन खानापूर्ति करने के नाम पर झुग्गी झोपड़ी ऊपर डंडा चला रही है फॉरेस्ट विभाग कुंभकरण की नींद में है उपायुक्त और एसएसपी की कार्य क्षमता का जो सर्वे हुआ है उसमें उन्हें काबिल अधिकारी के रूप में देखा जा रहा है परंतु जब कर्मचारी और अन्य पदाधिकारी——-
ऐसे कई मामले जैसे आदिवासी जमीन पर स्कूल, नर्सिंग होम जैसे प्रतिष्ठान खुल गए हैं इन सब पर सोमवार से एक-एक कर परत दर परत खुलासा करते देवानंद सिंह की रिपोर्ट
सोमवार को पहला खुलासा—–-