प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में नेहरू-अंबेडकर से लेकर इमरजेंसी का जिक्र, इतिहास की याद और भविष्य का सपना
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वर्तमान सांसदों के लिए विशेष सौभाग्य का अवसर
पीएम ने कहा, “अटल जी की सरकार में 2000 में सर्व सम्मति से तीन राज्यों का गठन हुआ, लेकिन जब तेलंगाना का गठन हुआ तो खून बहे। इसी सदन में जनप्रतिनिधित्व कानून में कठोरता लाई। हम जो वर्तमान सांसद हैं उनके लिए विशेष सौभाग्य का अवसर है कि हमें इतिहास और भविष्य दोनों की कड़ी बनने का अवसर मिला है। कल और आज से जुड़ने का अवसर मिल रहा है। आज का दिवस सिर्फ और सिर्फ इस सदन के गौरवगान का है। नेहरू जी का गौरवगान इस सदन में होता है तो कौन सदस्य होगा जिसे ताली बजाने का मन नहीं करेगा।”
इसी सदन ने देखा न्यूक्लियर टेस्ट
पीएम ने कहा,”अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में न्यूक्लियर टेस्ट इसी सदन ने देखा। इसी सदन ने मनमोहन सिंह की सरकार में कैश फोर वोट देखा। इसी सदन में कभी चार सांसद वाली पार्टी सत्ता में होती थी और 100 सांसद वाली पार्टी विपक्षी में थी। इसी सदन में एक वोट से वाजपेयी जी की सरकार गई थी।”
इसी सदन ने इमरजेंसी देखी
नरेंद्र मोदी ने कहा, “इसी सदन में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा की थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने इसी सदन में कहा था सरकारें आएंगी जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी, लेकिन देश पहले है। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने इसी सदन में काम किया। उन्होंने औद्योगिक क्रांति की बात की थी। लाल बहादुर शास्त्री ने इसी सदन में देश का नेतृत्व किया। इस सदन ने इमरजेंसी और लोकतंत्र की बहाली देखी।”
सदन पर आतंकी हमला हुआ, देश इसे भूल नहीं सकता
पीएम ने कहा, “इस सदन पर आतंकी हमला हुआ। यह हमला एक इमारत पर नहीं था। यह हमारी जीवआत्मा पर था। देश इस घटना को भूल नहीं सकता। सदन को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोलियां झेली उन्हें नमन करता हूं। वे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बहुत बड़ी रक्षा की है। मैं उन पत्रकारों को भी नमन करता हूं जिन्होंने इसे कवर करने में जीवन लगा दिया।”
75 वर्षों में संसद पर बढ़ता गया लोगों को विश्वास
पीएम ने कहा, “आजादी के बाद लोगों ने तरह-तरह की आशंकाएं जताई थी। कहा था कि ये देश चल पाएगा या नहीं, लोकतंत्र रह पाएगा या नहीं। इस संसद ने विश्व को गलत साबित किया। इसी संसद में संविधान सभा की बैठकें हुईं। इन 75 वर्षों में सबसे बड़ी जो उपलब्धी है वो है देश के सामान्य लोगों का इस संसद पर विश्वास बढ़ता गया। लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यही है कि लोगों का इस व्यवस्था के प्रति विश्वास बना रहे।”
संसद से कड़वाहट पालकर नहीं जाते
नरेंद्र मोदी ने कहा, “हम कभी संसद से कड़वाहट पालकर नहीं जाते। यहां परिवार वाला भाव है। अनेक संकटों के बाद भी सांसद सदन में आए हैं। ऐसी अनेक घटनाएं हुईं हैं। गंभीर बीमारियों के बाद भी व्हीलचेयर पर बैठकर आना पड़ा। सांसदों ने ऐसी भूमिका निभाई। कोरोना काल में भी हमारे सांसद दोनों सदन में आए। हमने राष्ट्र का काम रुकने नहीं दिया। संसद से ऐसा जुड़ाव है कि लोग सेंट्रल हॉल आते रहते हैं।”