नई दिल्ली: विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 से निजात पाने के लिये दुनिया के सभी लोगों का टीकाकरण होना जरूरी है. अगर दुनिया का एक भी हिस्सा टीकाकरण से महरूम रहा तो पूरी दुनिया में नये तरीके के वायरस का खतरा मंडराने लगेगा. गरीब तथा विकासशील देशों में सभी को समान रूप से टीका मुहैया कराने के मुश्किल काम को करने के लिये एक बर्डन शेयरिंग फार्मूला बनाया जाना चाहिये. इस बारे में ठोस कदम उठाने के लिये आगामी 11 जून को ब्रिटेन में आयोजित होने जा रही जी7 शिखर बैठक एक महत्वपूर्ण मौका है. इस सिलसिले में विस्तृत विचार-विमर्श के लिये एक्सपर्ट्स का एक वेबिनार आयोजित किया गया, जिसमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन, क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल की अधिशासी निदेशक तसनीम एसप, डब्ल्यूआरआई इंडिया में जलवायु कार्यक्रम की निदेशक उल्का केलकर और विश्व स्वास्थ्य संगठन में पब्लिक हेल्थ, एनवायरमेंट एण्ड सोशल डेटरिमेंट्स ऑफ हेल्थ डिपार्टमेंट की निदेशक डॉक्टर मारिया नीरा ने हिस्सा लिया.
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मौजूदा वक्त दुनिया के अमीर देशों के नैतिक मूल्यों की परीक्षा है. अमीर देशों ने जिस तरह से महामारी से निपटा है उससे यह भी पता लगता है कि वे किस तरह से जलवायु संकट से भी निपटेंगे. जी7 देश महामारी को लेकर जो विचार व्यक्त करेंगे उसे अन्य प्रकार के संकटों, खासतौर पर जलवायु से संबंधित संकट से अलग करके नहीं देखा जा सकता. महामारी के इस दौर में जलवायु संकट पर और भी ज्यादा बल दिए जाने की जरूरत है क्योंकि अगर आप जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान करते हैं तो इससे बहुत बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संबंधी लाभ पैदा होंगे. आगामी 11 जून को ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और कनाडा के नेता तथा दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्ष ब्रिटेन के कॉर्नवाल में आयोजित होने वाली जी7 की बैठक में शामिल होंगे. इस बैठक के दौरान जी7 देशों पर विकासशील देशों में कोविड टीकाकरण कार्य में तेजी लाने और जलवायु सम्बन्धी नयी वित्तीय संकल्पबद्धताओं पर राजी होने का दबाव होगा. अगर विकासशील देशों तक कोविड का टीका पहुंचाने और नये वित्तपोषण के काम में तेजी नहीं लायी गयी तो ब्रिटेन में आयोजित होने वाली सीओपी26 शिखर बैठक के सामने नयी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं. उस स्थिति में विकासशील देशों के प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे और देश जलवायु से सम्बन्धित अधिक मुश्किल योजनाएं पेश नहीं कर पायेंगे.
उन्होंने कहा जब हम वैक्सीन की बात करते हैं तो उसके समानता पूर्ण वितरण का बिंदु सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है. वैक्सीन से जुड़े कई अहम मसले हैं जिनमें वाणिज्यिक आदान-प्रदान, प्रौद्योगिकी के पहलू और उत्पादन लाइसेंसिंग इत्यादि प्रमुख हैं. इस मुश्किल समय में भी हमारे पास विचार विमर्श करने के लिए कई अच्छे और अहम बिंदु हैं. मारिया ने कहा कि जी7 की बैठक में जलवायु के प्रति और अधिक सतत नीतियां बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए. महामारी के इस दौर में जलवायु संकट पर और भी ज्यादा बल दिए जाने की जरूरत है क्योंकि अगर आप जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान करते हैं तो इससे बहुत बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संबंधी लाभ पैदा होंगे. हमें क्लाइमेट फाइनेंसिंग पर और भी ज्यादा ध्यान देना होगा क्योंकि महामारियों में भी जलवायु की बहुत बड़ी भूमिका होती है.