हेमंत सोरेन बने 11वें मुख्यमंत्री
– राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
– दूसरी बार बने हैं राज्य के मुख्यमंत्री
– शपथ समारोह में जुटे कई विपक्षी नेता
हेमंत सोरेन झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। महामहिम राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें रविवार को शपथ दिलाई। शपथ दिलाने के लिए मोराबादी मैदान में भव्य कार्यक्रम आयोजन किया गया। झारखंड के लिए इस ऐतिहासिक क्षण के कई दिग्गज साक्षी बने, जिसमें राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, आरपीएन सिंह, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, शिूब सोरेन, रूपी सोरेन अब्दुल बारी सिद्धिकी व शिवानंद तिवारी शामिल रहे। इस दौरान छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे। इस समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी न्यौता भेजा गया था, लेकिन वह किन्हीं कारणों से यहां नहीं पहुंच पाए। आत्मविश्वास से लबरेज हेमंत सोरेन ने पिता शिबू सोरेन और मां रूपी सोरेन से आशीर्वाद लेकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस दौरान आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव और सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री पद की शपथ ली। यह कार्यक्रम झारखंड के लिए ऐतिहासिक तो बना ही, बल्कि विपक्षी ताकत दिखाने का भी मौका बना, क्योंकि अधिकांश विपक्षी नेता इस समारोह में पहुंचे। इस दौरान राहुल गांधी नव-निर्वाचित विधायकों से भी मिले।
हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। इससे पहले हेमंत सोरेन 532 दिन सरकार चला चुके हैं। यानि वह 13 जुलाई 2013 से 27 दिसंबर 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। झारखंड राज्य बनने के बाद 19 साल के सफर में रविवार को 11वीं सरकार का गठन हुआ। यह दूसरा मौका है, जब किसी पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत मिला है। इससे पूर्व बीजेपी और आजसू गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला था, जिसके चलते रघुवर दास सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
यहां बता दें कि बिहार से अलग होने के बाद झारखंड राजनीतिक अनिश्चितता के दौर से गुजरता रहा, इसीलिए यहां रघुवर दास के पूर्व कोई भी पार्टी पांच साल तक सरकार नहीं चला पाई। कई बार राज्य की कमान निर्दलीयों के हाथ में गई तो यहां तीन बार राष्ट्पति शासन भी लगाना पड़ा। राज्य में राजनीति की अनिश्चितता के लंबे दौर को झेलने के बाद राज्य के मतदाता जागरूक हुए हैं और उन्होंने लगातार दूसरी बार किसी पार्टी या गठबंधन को पूर्ण बहुमत देकर सरकार बनाने का मौका दिया। उम्मीद की जानी चाहिए कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।
राज्य अलग होने के बाद 15 नवंबर 2000 को एनडीए नेता बाबू लाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 28 माह बाद ही गठबंधन में शामिल विधायकों द्बारा समर्थन वापस लिए जाने की वजह से बाबू लाल मरांडी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था। मरांडी ने 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक यानि 852 दिन सरकार चलाई। इसके बाद अर्जुन मुंडा राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बने। हालांकि अर्जुन मुंडा भी एनडीए के ही नेता थे, लेकिन वहां नेतृत्व परिवर्तन इसीलिए किया गया, क्योंकि बाबू लाल मरांडी का जबरदस्त विरोध शुरू हो गया था। अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार ने बचा हुआ समय पूरा किया। अर्जुन मुंडा 18 मार्च 2००3 से 1 मार्च 2००5 तक यानि 741 दिन राज्य के मुख्यमंत्री रहे। शिबू सोरेन ऐसे शख्स रहे, जो राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री बने, लेकिन वह पहली बार महज 9 दिन ही सरकार चला पाए। राज्य के गठबंधन के बाद जब 2००5 में राज्य में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था, तो तब शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन उनकी सरकार जोेड़-तोड़ से बनी थी, लेकिन वह बाद में विधानसभा में बहुमत साबित करने में असफल रहे थे। इस वजह से शिबू सोरेन को महज नौ दिन बाद मुख्यमंत्री को पद छोड़ना पड़ा था। सोरेन पहली बार दो मार्च 2००5 से 11 मार्च 2००5 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
जदयू, आजसू व कुछ अन्य निर्दलीयों का सहयोग लेकर अर्जुन मुंडा एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। वह राज्य के चौथे मुख्यमंत्री बने थे। मुंडा इस बार फिर 12 मार्च 2००5 से 17 सितंबर 2००6 तक यानि 555 दिन राज्य के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद निर्दलीय चुने गए विधायक मधु कोड़ा को आगे कर यूपीए ने सरकार बनाई। यह इसीलिए हुआ, क्योंकि अर्जुन मुंडा की कार्यशैली से नाराज होकर निर्दलीय विधायकों से अपना समर्थन वापस ले लिया था। मधु कोड़ा 18 सितंबर 2००6 से 27 अगस्त 2००8 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने कुल 7०9 दिन राज्य का नेतृत्व किया। शिबू सोरेन एक बार फिर राज्य के छठवें मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस ने शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाते हुए बाहर से समर्थन दिया था। इस सरकार में सभी निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाया गया था, लेकिन जब आगामी चार महीनों बाद उपचुनाव हुआ तो शिबू सोरेन तमाड़ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। इसके बाद सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। इस बार शिबू सोरेन 28 अगस्त 2००8 से 18 जनवरी 2००9 यानि 145 दिन ही राज्य के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 19 जनवरी 2००9 से 29 दिसंबर 2००9 यानि 344 दिन राज्य राष्ट्पति शासन के हवाले रहा। इसके बाद एक फिर शिबू सोरेन तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। इस बार वह 3० दिसंबर 2००9 से 31 मई 2०1० तक यानि 152 दिन तक मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 1 जून 2०1० से 1० सितंबर 2०1० यानि 1०2 दिन राज्य एक फिर राष्ट्पति शासन के हवाले रहा।
इसके बाद तीसरी बार अर्जुन मुंडा राज्य के आठवें मुख्यमंत्री बने। राज्य में राष्ट्पति शासन रहने के तीन माह बाद भाजपा व झामुमो एक मंच पर आए और 28-28 माह सरकार चलाने की शर्त पर सरकार बनाई, लेकिन यह शर्त पूरी नहीं हो पाई और झामुमो पीछे हट गई, हालांकि इस बार अर्जुन मुंडा 11 सितंबर 2०1० से 17 जनवरी 2०13 तक यानि 86० दिन राज्य के मुख्यमंत्री रहे। झामुमो के समर्थन से हाथ पीछे खींच लेने की वजह से एक फिर राज्य में राष्ट्पति शासन लगा, जो 19 जनवरी 2०13 से 12 जुलाई 2०13 यानि 174 दिन तक रहा। इसके बाद हेमंत सोरेन ने कांग्रेस व राजद के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई, जिन्होंने 13 जुलाई 2०13 से 27 दिसंबर 2०14 तक यानि 532 दिन सरकार चलाई।
वहीं, 2०14 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आजसू गठबंधन को पूर्ण मिला था, जिसके चलते रघुवर दास के नेतृत्व में पांच साल तक सरकार चली, लेकिन इस बार यानि 2०19 में हुए विधानसभा चुनाव में सरकार का चेहरा तो बदल गया, लेकिन राज्य की जनता ने झामुमो के नेतृत्व में गठबंधन को पूर्ण बहुमत दिया। जिसकी बदौलत हेमंत सोरेन राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। उम्मीद है कि झामुमो व सहयोगियों का गठबंधन बना रहेगा और वह पांच साल तक सरकार चलाने में सफल होंगे।
हेमंत सोरेन बने 11वें मुख्यमंत्री राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ
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