देवेंद्र फडणवीस के लिए चुनौतीभरा ताज
देवानंद सिंह
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। अब तीनों पार्टियों के बीच मंत्रिमंडल और विभागों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा। बीजेपी को 21 से 22 विभाग मिलने की संभावना है, जबकि शिवसेना ने 16 सीटें मांगी हैं, लेकिन उसे 12 सीटें मिलने की संभावना है। वहीं, अजित पवार को 9 से 10 विभाग मिलने की चर्चा है। देवेंद्र फडणवीस 2014 में पहली बार सीएम बने थे। उन्होंने 5 साल सरकार चलाई और 2019 में बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं, लेकिन पार्टी सरकार नहीं बना पाई। ढाई साल बाद बीजेपी ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाई और फडणवीस डिप्टी सीएम बनाए गए, लेकिन इस बार वह सरकार के मुखिया बने हैं। ऐसे में, सरकार के मुखिया के रूप में फडणवीस के सामने कई चुनौतियां होंगी। फडणवीस के सामने न केवल गठबंधन सरकार को स्थिर रखने बल्कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने की भी चुनौती होगी।
फडणवीस के सामने सबसे बड़ी चुनौती गठबंधन सरकार को स्थिर बनाए रखने की होगी। देवेंद्र फडणवीस के लिए यह इसलिए भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन विभिन्न दलों के बीच सहयोग बना रहे। एक तरफ जहां एकनाथ शिंदे की शिवसेना है तो दूसरी ओर अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है। भले, ही ये अभी गठबंधन में हैं, लेकिन सरकार चलाते हुए सामंजस्य बनाने की निश्चितरूप से चुनौती होगी। अगर, इस गठबंधन में कोई भी दल असंतुष्ट होता है तो सरकार का पतन हो सकता है और महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बन जाएगा।
फडणवीस को यह भी ध्यान में रखना होगा कि राज्य की राजनीति में विपक्षी पार्टियां भी ताकतवर हैं, जैसे कि शरद पवार की NCP और उद्धव ठाकरे की शिवसेना, जो आंतरिक संघर्ष का फायदा उठा सकती हैं। इस पर काबू पाने के लिए फडणवीस को राजनीतिक सूझ-बूझ, अच्छे संवाद कौशल और सामूहिक नेतृत्व की रणनीतियों की आवश्यकता होगी। उन्हें यह समझना होगा कि सरकारी फैसलों में सभी भागीदारों की राय को शामिल किया जाए।
फडणवीस के लिए अगला बड़ा मुद्दा आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन होगा। महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन हमेशा ही महत्वपूर्ण रहा है और इस बार भी पार्टी को राज्य में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए अच्छा प्रदर्शन करना होगा। इसके लिए, फडणवीस को यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकार के निर्णयों से जनता में सकारात्मक भावना बनी रहे। उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि स्थानीय निकाय चुनावों में लोगों के मुद्दे सीधे तौर पर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े होते हैं, जैसे कि पानी, सड़कें, बिजली, और स्वास्थ्य सुविधाएं। इन मुद्दों को प्राथमिकता देने के साथ-साथ भाजपा को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनकी छवि जनकल्याणकारी पार्टी के रूप में बनी रहे।
स्थानीय निकाय चुनावों में जीत प्राप्त करने के लिए भाजपा को विपक्षी दल शिवसेना और कांग्रेस के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी, जिनकी जड़ें राज्य के स्थानीय स्तर पर मजबूत हैं। शिवसेना, विशेष रूप से, मुंबई और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में एक मजबूत राजनीतिक आधार रखती है। ऐसे में, फडणवीस को अपने नेतृत्व में भाजपा को स्थानीय स्तर पर मजबूत बनाने के लिए कुशल रणनीतियों पर विचार करना होगा। उन्हें प्रत्येक क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों पर अधिक ध्यान देना होगा और अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच संगठनात्मक मजबूती स्थापित करनी होगी।
फडणवीस को एक और बड़ी चुनौती गुड गवर्नेंस से संबंधित होगी। महाराष्ट्र में जनता की अपेक्षाएं काफी ऊंची हैं और उन्हें यह दिखाना होगा कि उनकी सरकार पारदर्शी, जवाबदेह और भ्रष्टाचारमुक्त है। महाराष्ट्र की सरकार को ना केवल राज्य के विकास के लिए ठोस योजनाएं लागू करनी होंगी, बल्कि उन्हें अपने प्रशासन को भी जनता के प्रति जवाबदेह बनाए रखना होगा।
फडणवीस की नेतृत्व शैली में प्रशासनिक सुधारों का एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन यह चुनौती उनके सामने अब भी बनी हुई है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सरकार के तहत विकास योजनाएं सही समय पर पूरी हों, सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग न हो और भ्रष्टाचार पर कड़ी नज़र रखी जाए। इसके लिए पारदर्शिता, कार्यकुशलता और जनता के प्रति जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता होगी।
फडणवीस को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा लागू की जाने वाली नीतियां समाज के सभी वर्गों के लिए फायदेमंद हों, खासकर उन वर्गों के लिए जो पारंपरिक रूप से विकास से पीछे रह जाते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में सुधारों के माध्यम से वे एक समावेशी सरकार का निर्माण कर सकते हैं। साथ ही, वे यह भी देखेंगे कि आर्थिक विकास की गति बनाए रखते हुए सामाजिक असमानता को कम किया जाए।
महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों के बीच सत्ता संघर्ष के अलावा कुछ सामाजिक मुद्दे भी काफी संवेदनशील हैं। जैसे कि मराठा आरक्षण, दलितों और आदिवासियों के अधिकार और कृषि संकट जैसे मुद्दे जो सरकार के लिए चुनौती बन सकते हैं। इन मुद्दों को हल करना और जनता के बीच संतुलन बनाए रखना फडणवीस के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा, राज्य में किसानों का संकट और कृषि संकट भी एक बड़ा मुद्दा है। किसानों के लिए राहत पैकेज और कृषि संकट को दूर करने के लिए प्रभावी योजनाएं लागू करना फडणवीस सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
महाराष्ट्र की राजनीति केवल राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भाजपा के राष्ट्रीय एजेंडे और केंद्रीय नेतृत्व के साथ तालमेल बनाए रखना फडणवीस के लिए महत्वपूर्ण होगा। इसके साथ ही, राज्य में विपक्षी दलों के गठबंधन को तोड़ने और भाजपा के लिए एक मजबूत विपक्षी अभियान तैयार करना भी उनकी चुनौती हो सकती है।
साफ है कि विशाल बहुमत वाली इस सरकार के मुखिया के तौर पर देवेंद्र फडणवीस की यह पारी किसी भी रूप में कम चुनौतीपूर्ण नहीं साबित होने वाली। देखना होगा कि महाराष्ट्र को राजनीतिक स्थिरता और विकास के नए दौर में ले जाने की जिम्मेदारी वह किस हद तक पूरी कर पाते हैं। साथ ही, लोगों ने उनकी पार्टी और सहयोगी दलों पर जो भरोसा जताया है, महायुति सरकार उनकी उम्मीदें पूरी कर पाती है? अगर, वे इन चुनौतियों का सही तरीके से सामना करते हैं, तो वे न केवल महाराष्ट्र में भाजपा की स्थिति मजबूत कर सकते हैं, बल्कि एक स्थिर और विकासशील राज्य का निर्माण भी कर सकते हैं।