पटना में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वैश्विक औसत से कहीं अधिक वृद्धि: सर्वेक्षण
पटना: बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि पटना में कुछ स्थानों पर ग्रीनहाउस गैस एवं कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) के स्तर में वृद्धि चिंता का विषय है और इस पर निरंतर नजर बनाए रखने एवं इसे काबू करने की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), भारत द्वारा किए गए एक नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य की राजधानी में कुछ स्थानों पर कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर वैश्विक औसत से कहीं अधिक है।
यूएनडीपी ने सात जून, 2024 से 29 जनवरी, 2025 तक पटना में वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया।
यूएनडीपी ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के साथ पिछले साल एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत पटना के लिए यह सर्वेक्षण किया गया।
हालांकि कार्बन डाइऑक्साइड को वायु प्रदूषक की श्रेणी में नहीं रखा गया है, लेकिन इसकी उच्च सांद्रता वायुमंडल को गर्म करती है इसलिए विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पटना में इसकी उच्च सांद्रता के कारण गर्मियों के मौसम में शहर के कुछ हिस्सों में तापमान बढ़ सकता है।
यूएनडीपी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, जून 2024 में पटना के समनपुरा इलाके में कार्बनडाइ ऑक्साइड सांद्रता 440.9 पीपीएम थी जो 29 जनवरी, 2025 को बढ़कर 940.8 पीपीएम हो गई है।
समनपुरा में दिसंबर 2024 में ग्रीनहाउस गैस सांद्रता का उच्चतम स्तर दर्ज किया गया और यह 959.1 पीपीएम था। इसी इलाके में नवंबर 2024 में सीओटू सांद्रता 912.2 पीपीएम थी।
इस साल जनवरी में पटना के भीड़-भाड वाले इलाके ‘श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल’ के पास सीओटू सांद्रता 515.4 पीपीएम दर्ज की गई, जबकि पिछले महीने शिमली नवाबगंज इलाके में यह 513.6 पीपीएम थी।
रिपोर्ट के अनुसार, पटना के मैनपुरा (दानापुर रोड) में सीओटू की सांद्रता 493.7 पीपीएम थी और इसके बाद किदवईपुरी (490.6 पीपीएम), तारामंडल (480.7 पीपीएम), अशोक नेताजी पथ-बालापुर (446.4 पीपीएम), रुकनपुरा (445.3 पीपीएम) और श्री कृष्णपुरम-दानापुर (437.2 पीपीएम) में अधिक सांद्रता दर्ज की गई।
वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड की औसत वायुमंडलीय सांद्रता 2023 में 419.3 पीपीएम थी।
बीएसपीसीबी के अध्यक्ष डी.के. शुक्ला से यूएनडीपी की इस रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पटना में कुछ स्थानों पर सीओटू की उच्च सांद्रता चिंता का विषय है। यह वैश्विक औसत से बहुत अधिक है। हालांकि सीओटू को वायु प्रदूषक नहीं माना जाता है लेकिन वायुमंडल में इसकी उच्च सांद्रता वातावरण को गर्म करती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वायुमंडलीय सीओटू सांद्रता में रिकॉर्ड वृद्धि कई कारकों के संयोजन से प्रेरित है, जिसमें उच्च जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन और आर्द्रभूमि जैसे प्राकृतिक स्रोतों द्वारा कम कार्बन अवशोषित किया जाना शामिल है। ऐसा प्रतीत होता है कि कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आर्द्रभूमि की संख्या पटना में पिछले कुछ वर्षों में कम हुई है।’’
उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब बीएसपीसीबी ने पटना के लिए यूएनडीपी से यह सर्वेक्षण कराया है।
उन्होंने कहा कि पटना में बढ़ती वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड जलवायु परिवर्तन और ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के संदर्भ में चिंता का विषय है और इससे निपटने के लिए निरंतर निगरानी और नीतिगत निर्णय की आवश्यकता है।
शुक्ला ने कहा, ‘‘सही तरीके से और उचित स्थानों पर बड़े पैमाने पर पौधारोपण शहर में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को कम करने में एक बड़ा योगदान दे सकता है। लोगों को घरों में पौधों लगाने का भी विकल्प चुनना चाहिए, जो सीओटू के स्तर को कम करते हैं और संबंधित प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को कम करते हैं। लोगों को अत्यधिक कार्बन का उत्सर्जन करने वाले जीवाश्म ईंधन का उपयोग भी कम करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, पटना में कुछ स्थानों पर सीओटू की उच्च सांद्रता आवासीय गतिविधियों के संयुक्त स्रोतों के कारण हो सकती है।
‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ (इंडिया) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पटना में कुछ स्थानों पर कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में खतरनाक वृद्धि चिंता का विषय है। संबंधित अधिकारियों को शहर भर में प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों- उद्योग, वाहन, अपशिष्ट और जैव ईंधन जलाना, घरों में ठोस ईंधन का उपयोग, निर्माण और अन्य स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई बढ़ानी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि इसके लिए स्थानीय प्रदूषण को कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड की उच्च सांद्रता को रोकने के लिए जलवायु कार्य योजना उपायों के सख्त कार्यान्वयन की आवश्यकता है और इसे काबू करने के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना भी संबंधित अधिकारियों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
रायचौधरी ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को लोगों को खाना पकाने के ऐसे तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जो पर्यावरण के अनुकूल हों।
उन्होंने कहा कि घरेलू प्रदूषण पर अंकुश लगाना पटना में सीओटू की उच्च सांद्रता को रोकने में निश्चित रूप से प्रभावी भूमिका निभाएगा।
‘इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी’ के संस्थापक मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्र भूषण ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “स्थानीय कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता को स्थानीय गर्मी से जोड़ने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। सीओटू वातावरण में ग्रीनहाउस प्रभाव का कारण बनती है। सीओटू की सांद्रता के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित करने के लिए रिपोर्ट के सभी पहलुओं का विश्लेषण किया जाना आवश्यक है।’’