चंपई सोरेन के भाजपा में आने की खबर से प्रदेश भाजपा में हड़कंप!
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मोदी से की मुलाकात, शाह से भी मिलेंगे
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विरोध की लपटों के बीच भाजपा में अपनी स्थिति मजबूत रखना चंपई के लिए नहीं होगा आसान
देवानंद सिंह
जमशेदपुर : पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भाजपा में आने की खबर और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का दिल्ली दौरे ने झारखंड के सियासी पारे को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है। बाबूलाल मरांडी की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद उनकी अगली मुलाकात गृह मंत्री अमित शाह से होगी।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी आलाकमान के निर्णय से नाखुश हैं, जिसकी वजह से वह अपनी नाराजगी व्यक्त करने मोदी और शाह से मिलने राजधानी दिल्ली पहुंचे हैं। वह इस बात से नाराज़ हैं कि चंपई सोरेन को भाजपा में शामिल करने में केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश नेतृत्व को विश्वास में नहीं लिया। यह केंद्रीय नेतृत्व की कहीं बहुत बड़ी गलती तो नहीं साबित होगी, ऐसे तमाम सवाल सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन हुए हैं।
बता दें कि चंपाई के आने से कोल्हान में भाजपा को मजबूती की आस है, लेकिन कोल्हान से भाजपा के पास 4 पूर्व मुख्यमंत्री हो जाएंगे, ऐसे में, भाजपा के लिए तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि महत्वाकांक्षा की प्रकाष्ठा विधानसभा चुनाव के पूर्व सभी भाजपा नेताओं में है।
लोकसभा चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को भाजपा द्वारा अपने पाले में कर गेम चेंजर की बात कर रही थी, परंतु लोकसभा चुनाव में उनकी हार भाजपा के निर्णय पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। अब भाजपाइयों के बीच यह चर्चा होने लगी है कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन अलग से चुनाव लड़ते तो भाजपा को ज्यादा फायदा होता, लिहाजा कहीं यह भी तो गीता कोड़ा नहीं साबित होंगे ?
बहरहाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली में हैं, प्रधानमंत्री मोदी से मिल चुके हैं और गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हो सकती है।
इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने चंपई के भाजपा में आने पर स्वागत करने की बात कही है। दूसरी तरफ, चंपई सोरेन को लेकर भी बहुत सारे सवाल खड़े हो रहे हैं, बताया जा रहा है कि उनके समर्थक उनके भाजपा में शामिल होने से नाखुश हैं। वहीं, जिस तरह प्रदेश भाजपा के अंदर उनके पार्टी में शामिल होने को लेकर विरोध होने लगा है, वैसे में चंपई के लिए भाजपा में अपनी स्थिति को मजबूत करना बिल्कुल भी आसान नहीं होगा।
वरिष्ठ पत्रकार पंकज प्रसून के फेसबुक वाल से उनका व्यक्तिगत राय को कॉपी किया है उनकी राय में भी जाने समझे कोल्हान की स्थिति
ये मेरा व्यक्तिगत आकलन है। चंपई सोरेन के भाजपा में आने से पार्टी को कोल्हान में बहुत अधिक फ़ायदा नहीं होगा, उल्टे नुकसान की संभावना अधिक है। समझिए कैसे?
1. आंकड़ों से समझिए:
सरायकेला में पिछले दो- तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़े देखिए।
2005 में चंपई सोरेन को मिले 61112 वोट, और भाजपा के लक्ष्मण टुडू को मिले 60230 वोट, यानि चंपई सोरेन महज 883 वोट से जीते
2009 में चंपई सोरेन को 57156 वोट मिले, भाजपा के लक्षण टुडू को 53910। चंपई की जीत का मार्जिन 3246 वोट रहा
2014 में चंपई सोरेन को 94746 वोट मिले और भाजपा के गणेश महली को 93631। यानि चंपई की जीत का मार्जिन रहा 1115 वोट
इस बार तो चंपई सोरेन के खिलाफ़ जबरदस्त एंटी इन्कम्बेंसी थी।
2. इस बार क्या बदला है?
चंपई सोरेन मुख्यमंत्री पद पर थे, उनसे उम्मीदें बहुत बढ़ गईं थीं, लेकिन कोई उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं कर सकें।
चंपई सोरेन के भाजपा में चले जाने से आदिवासी वोटर भी भाजपा में शिफ्ट हो जाएंगे, ये मान लेना बचकाना होगा। उल्टा आदिवासी वोटर्स के बीच वो गद्दार के रूप में प्रचारित किए जा रहे हैं। “देखिए, हेमंत ने उन्हें सीएम बनाया, पर वो उनसे ही गद्दारी कर बैठे”, ये आम चर्चा है।
3. बेटे की ख़राब छवि
चंपई सोरेन ईमानदार और सरल होंगे, लेकिन उनके बेटे की छवि भ्रष्ट और गुंडे जैसी है। पत्रकार तक को पिट दिया था। चंपई सोरेन के सीएम रहते बेटे ने क्या गुल खिलाए हैं, कभी पता लगाएं। सुनने में आ रहा है कि उसी बेटे को टिकट देने की डील हुई है। अगर ऐसा है तो गई भैंस पानी में।
4. रमेश हांसदा, गणेश महली का क्या होगा?
हमारे पास जो सूचना है उसके अनुसार रमेश हांसदा अपना पॉलिटिकल कैरियर बर्बाद नहीं करेंगे। 28 को हेमंत सोरेन के दौरे के दौरान वो झामुमो का दामन थाम सकते हैं। गणेश महली बहुत ही ज्यादा व्यथित हैं। इस बार उन्हें लग रहा था कि वो चुनाव जीत सकते हैं, लेकिन ऊपर से खेल हो गया। वो शांत बैठ गए तो भाजपा के लिए मुश्किल होगी।
5. चंचल गोस्वामी की भूमिका और प्रदेश भाजपा इकाई
बताया जाता है कि चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने को लेकर प्रदेश यूनिट को किनारे रखा गया। चंचल गोस्वामी के हेमंत विश्व शरमा के साथ पुराने संबंध थे। सारा काम उन्होंने, रांची के एक पत्रकार और चंपई के बेटे ने किया है। एक नेता ठंडी आह भर कर कहते हैं, “चंपई सोरेन अलग पार्टी बनाकर लड़ते तो भाजपा को ज़्यादा फ़ायदा था”…