बिहार में कांग्रेस का लालू के खिलाफ ऐलान ए जंग! अखिलेश प्रसाद सिंह को हटा दिल्ली दरबार से पहली चाल
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर कुटुंबा विधायक राजेश कुमार को बागडोर सौंप दी है। इसके बाद कई कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन इसी बीच नवभारत टाइम्स संवाददाता ने इस कदम की वजह जानने के लिए बिहार के सियासी गलियारे से अपने एक विश्ववस्त सूत्र से बातचीत की। इस बातचीत के दौरान जो कुछ पता चला वो चौंकाने वाला है। लेकिन पहले समझिए कि अखिलेश प्रसाद सिंह जैसे कद्दावर नेता को क्यों हटाया गया?
अखिलेश प्रसाद सिंह की लालू प्रसाद यादव से नजदीकी छिपी हुई नहीं है। इसकी वजह जानने के लिए आपको थोड़ा ही नहीं बल्कि बहुत पीछे जाना होगा। बात 2004 की है जब अखिलेश प्रसाद सिंह मोतिहारी से लोकसभा का चुनाव जीते थे। लेकिन कांग्रेस नहीं बल्कि राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर। लालू प्रसाद यादव वो नेता थे, जिन्होंने अखिलेश प्रसाद सिंह को दिल्ली भेजा था। तब अखिलेश प्रसाद सिंह को केंद्र में कृषि, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण का राज्य मंत्री पद भी मिला था। ये पद उन्हें राजद के कोटे से मिला था, जो कि जाहिर है।
अब हो गया ऐलान ए जंग!
इस बात का जवाब बिहार कांग्रेस के नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु इशारों में दे चुके हैं। हाल ही में उन्होंने पटना एयरपोर्ट पर दो टूक कह दिया था कि कांग्रेस अब जनता (बिहार की) की A टीम बन कर काम करेगी। ये कांग्रेस का बिहार को लेकर इरादा बताने के लिए काफी था। हमारे सूत्र ने ये भी बताया कि ये उसी वक्त तय हो गया था कि बिहार में कांग्रेस विधानसभा चुनाव 2025 से पहले बड़ा फैसला ले लेगी।
इतना तो तय है कि इस दफे राजद और कांग्रेस में सीट बंटवारे पर सियासी दंगल हो सकता है। जाहिर है कि अब कांग्रेस बिहार में फ्रंट फुट पर खेलने का मूड बना रही है। ये भी लग रहा है कि कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में राजद की तरफ से मिलने वाले सीटों के ‘ऑफर’ को एक झटके में कबूल करने से रही। हालांकि अंतिम फैसला दिल्ली दरबार ही लेगा, ये भी तय ही मान लीजिए। हम ये नहीं कह रहे हैं कि अब यही सबकुछ हुआ और होने वाला है, लेकिन हालात और बयान तो ऐसे ही इशारे कर रहे हैं? अब सवाल यही है कि इसका अंजाम क्या होगा? हालांकि कुछ दिनों में ये भी साफ हो जाएगा।