सूर्यकला-रामजी फाउंडेशन ने किया अज्ञात सामाजिक कार्यकर्ता के शव का दाह-संस्कार |
ब्यूरो चन्दन शर्मा की रिपोर्ट
बेगूसराय ।सामाजिक संगठन सूर्यकला-रामजी फाउंडेशन ने एक बार फिर साबित कर दिया की मानवता की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं है |
हर तरह के सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाली संस्था सूर्यकला-रामजी फाउंडेशन ने बीते तीन दिनों पहले बरौनी जंक्शन पर मिले अज्ञात ब्यक्ति के शव को हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार तेघड़ा के अयोध्या घाट पर दाह-संस्कार कर समाज में एक और मिशाल पेश की |
इस सम्बन्ध में संस्था के संस्थापक सह सचिव शैलेन्द्र कुमार सिंह ने बताया की उक्त अज्ञात ब्यक्ति के बरौनी जंक्शन पर लाश मिलने की खबर के साथ रेल थानाध्यक्ष इमरान अहमद के द्वारा ये भी जानकारी मिली की वो ब्यक्ति जीवित रहते हुए अपने जीवनकाल में खुद का रक्तदान कर कई मरीजों की जान बचाया है लेकिन आज मरणोपरांत उसका कोई अपना सामने नहीं आया और रेल पुलिस उसे लावारिस घोषित कर उसका दाह-संस्कार करती उससे पहले हमने बरौनी रेल थानाध्यक्ष इमरान अहमद साहब से फ़ोन पर बात करके उक्त सामाजिक ब्यक्ति की लाश को सूर्यकला-रामजी फाउंडेशन को देने का आग्रह किया ताकि उसका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार संस्था द्वारा करवाया जा सके |
वहीं संस्था के सक्रिय सदस्य संजीव कुमार और प्रिंस ठाकुर ने बताया की किसी भी सामाजिक ब्यक्ति की मौत होने के बाद अगर उसकी लाश लावारिस घोषित होती तो वो हम जैसे सामाजिक संगठनों के लिए शर्म की बात होती इसलिए हमने पुलिस से बात कर इस शव का आग्रहपूर्वक मांग किया और थानाध्यक्ष इमरान अहमद ने भी इस मामले में उक्त संस्था से लिखित आवेदन लेकर सारी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के उपरान्त उक्त शव को सूर्यकला-रामजी फाउंडेशन को सौंप दिया |
उसके बाद उक्त संस्था ने अपने पंद्रह सदस्यों की मौजूदगी में तेघड़ा के अयोध्या घाट पर उस अज्ञात शव का अंतिम संस्कार अपने संस्था के खर्च पर संपन्न कराया |
मौके पर संस्था के सदस्यों में संतोष,सुशील,चन्दन सहित पंद्रह सदस्य उपस्थित रहे साथ ही इस तरह के दाह-संस्कार की जानकारी फैलने पर गंगा घाट के आस-पास के गाँवों के लोग भी घाट पर पहुँचने लगे और सूर्यकला-रामजी फाउंडेशन के इस नेक कार्य की सराहना की |