“बाबा नाम केवलम” अखंड कीर्तन, नारायण भोज, 100 साड़ी एवं 200 फलदार पौधे का वितरण
कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है*
कीर्तन हमें ईश्वर के साथ गहरे संबंध बनाने और अपने आन्तरिक शक्ति को प्रकट करने में सहायता करता है
कीर्तन द्वारा हम संकल्पनाशक्ति, विचारशक्ति और कार्यशक्ति को जागृत करते हैं, जो हमें सफलता, आनंद और समृद्धि की ओर अग्रसर करते हैं
आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आनंद मार्ग जागृति गदरा में एक प्रहर का “बाबा नाम केवलम”अखंड कीर्तन, 200 नारायण को भोजन ,100 साड़ी ,200 फलदार पौधे का वितरण एवं गदरा में ग्रामीणों के बीच घूम घूम कर फलदार पौधा का वितरण किया गया ।
कीर्तन समाप्ति के पश्चात आचार्य ब्रजगोपालानंद अवधूत ने अपने आध्यात्मिक उद्बोधन में कहा
की ईश्वर की प्राप्ति के सुगम साधन कीर्तन है।
कीर्तन, भक्ति और ध्यान का अद्वितीय माध्यम है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति ईश्वर के साथ गहरा संवाद स्थापित कर सकता है। उन्होंने ने बताया कि कीर्तन की शक्ति व्यक्ति को अविरल ध्यान, स्थिरता और आनंद की अनुभूति देती है। यह एक अद्वितीय विधि है जो हमें मन, शरीर और आत्मा के संगम के अनुभव को आदर्श दर्शाती है।
कीर्तन से हम अपने मन को संयमित कर सकते हैं और इंद्रियों के विषयों के प्रति वैराग्य की प्राप्ति कर सकते हैं। यह हमें अविरल स्थिति में रहने की क्षमता प्रदान करता है और हमारे जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वपूर्णता के साथ भर देता है।
उपस्थित आदर्शवादियों को यह संदेश दिया कि कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है, जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है। यह हमें ईश्वर के साथ गहरे संबंध बनाने और अपने आन्तरिक शक्ति को प्रकट करने में सहायता करता है।
कीर्तन एक साधना है जो हमें समाज के बंधनों से मुक्त करती है और हमारी आत्मिक एवं मानसिक स्वतंत्रता का अनुभव कराती है। यह हमें प्रेम, सहानुभूति और एकाग्रता की अनुभूति कराता है, जो हमारे जीवन को सुखी और समृद्ध बनाता है।
कीर्तन हमें सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करता है। यह हमारे मन को परम शांति की अवस्था में ले जाता है, जहां हम ईश्वरीय प्रेम और आनंद का अनुभव करते हैं। इसके माध्यम से हम अपने अंतरंग जगत को शुद्ध करते हैं और आनंदमय जीवन का आनंद उठा सकते हैं।
कीर्तन एक विशेष तरीका है जिसके माध्यम से हम समस्त जगत के साथ सामरस्य और सामंजस्य का अनुभव कर सकते हैं। यह हमें एक साथी बनाता है जो हमें ईश्वर के साथ अनन्य रूप से जोड़ता है और हमें सबके प्रति प्रेम और सेवा की भावना से प्रेरित करता है। इस प्रकार, कीर्तन हमें अद्वैत संबंध अनुभूति दिलाता है, जहां हम सभी में ईश्वर का दिव्य आत्मा का पहचान करते