क्या 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की राह में हैं कई चुनौतियां ?
देवानंद सिंह
2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना देख रहे भारत के संदर्भ में विश्व बैंक द्वारा की गई एक टिप्पणी के बाद एक नई बहस शुरू होने वाली है कि क्या भारत वाकई 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन पाएगा या फिर उसका यह सपना इस समयावधि तक पूरा नहीं हो पाएगा। दरअसल, विश्व बैंक का कहना है कि विकसित देश बनने के लिए भारत के पास बहुत कम समय है और इस दौरान उसे कई बड़े सुधारों को अंजाम देना होगा। अगर, भारत ऐसा नहीं कर पाता है तो उसे अमेरिका की मौजूदा इकोनॉमी के एक चौथाई बनने में ही 75 वर्ष लग जाएंगे।
भले ही, विश्व बैंक ने यह टिप्पणी विशेष तौर पर प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में की है, लेकिन निश्चित तौर पर प्रति व्यक्ति आय का सीधा संबंध देश की आर्थिक मजबूती को इंगित करता है, ऐसे में विश्व बैंक की टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण कही जाएगी। प्रति व्यक्ति आय तब बढ़ेगी, जब देश में निवेश बढ़ेगा।
विश्व बैंक की हाल की यह टिप्पणी ने भारत की विकास यात्रा की दिशा और गति पर गंभीर सवाल उठता है। अगर, भारत को विकसित देश बनना है, तो उसे निश्चित तौर पर अपने आर्थिक और संरचनात्मक सुधारों को बहुत जल्दी लागू करना होगा। यदि, भारत इस दिशा में सफलता हासिल नहीं करता है, तो उसे अमेरिका की मौजूदा अर्थव्यवस्था के एक चौथाई आकार तक पहुंचने में 75 साल लग सकते हैं, जो एक लंबी समयावधि है। भारत के पास विशाल मानव संसाधन हैं और उसकी युवा आबादी इसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक महत्वपूर्ण लाभ तो देती है, लेकिन इस संसाधन का सही तरीके से उपयोग करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास में बड़े सुधारों की जरूरत है। इसके अलावा, भारत को बुनियादी ढांचे, औद्योगिकीकरण और डिजिटलरण के क्षेत्रों में भी सुधार करना होगा।
विश्व बैंक की टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत के विकास की राह में मौजूद वास्तविक खतरों और चुनौतियों को उजागर करती है। भारत का विकास दर भले ही अच्छी हो, लेकिन संरचनात्मक सुधारों की गति धीमी है। आर्थिक सुधार, जैसे श्रम बाजार सुधार, कर प्रणाली में सुधार और व्यापारिक अवरोधों को समाप्त करना, ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जहां सरकार को और तेजी से कदम उठाने की जरूरत है। अगर, भारत इन सुधारों को जल्दी और प्रभावी तरीके से लागू नहीं करता है तो इसका असर दीर्घकालिक विकास दर पर पड़ेगा। यही कारण है कि विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि अगर, सुधारों की गति धीमी रहती है तो भारत को अमेरिका की मौजूदा अर्थव्यवस्था का एक चौथाई बनने में 75 वर्ष का समय लगेगा।
भारत का 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना संभव है, लेकिन इसके लिए सरकार को व्यापक और मजबूत नीतियां बनानी होंगी। इसके अलावा, राजनीतिक इच्छाशक्ति, सरकारी तंत्र में सुधार और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है। भारत की वर्तमान स्थिति में जहां करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं और स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में बहुत बड़ी चुनौतियां हैं, वहां विकास के लिए हर स्तर पर सुधार आवश्यक हैं।
भारत के आर्थिक सुधारों की दिशा में प्रमुख क्षेत्रों में सुधारों की आवश्यकता है। भारत का श्रम बाजार अत्यधिक अव्यवस्थित है। श्रमिकों की अधिकारों की रक्षा करते हुए, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए श्रम कानूनों में सुधार जरूरी है। इसके बिना औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया धीमी हो सकती है। वहीं, न्यायिक प्रणाली में सुधार से व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाया जा सकता है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी गरीब है और बुनियादी स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं से वंचित है। 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए इन दोनों क्षेत्रों में क्रांतिकारी सुधार जरूरी हैं। आज के समय में किसी भी देश की प्रगति डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचे पर निर्भर करती है। भारत को इसके लिए बड़े पैमाने पर निवेश और योजनाएं बनानी होंगी। भारत को सिर्फ आर्थिक विकास नहीं, बल्कि समावेशी विकास की ओर भी बढ़ना होगा। यहां की गरीब और पिछड़ी जातियों को मुख्यधारा में लाकर, उन्हें रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी। इसके बिना, देश में सामाजिक असमानताएं बढ़ सकती हैं, जो अंततः विकास के रास्ते में रुकावटें उत्पन्न करेंगी।
भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपनी नीतियों को लगातार सुधारते रहना होगा। चीन और अन्य एशियाई देशों की आर्थिक नीतियां भारत के लिए एक चुनौती हो सकती हैं। इसके लिए भारत को अपने उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने और नई तकनीकों को अपनाने की दिशा में लगातार काम करना होगा। इसके अतिरिक्त विकसित राष्ट्र बनने की राह में एक और महत्वपूर्ण चुनौती पर्यावरणीय संकट है। जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों की कमी से जुड़ी समस्याएं भारत के लिए बड़ा संकट बन सकती हैं। इन समस्याओं का समाधान किए बिना, भारत का स्थायी और संतुलित विकास संभव नहीं होगा।
अगर, समय रहते इन सुधारों को लागू नहीं किया, तो विकास की गति धीमी होगी, जो भारत के विकसित राष्ट्र बनने की राह में रोड़ा साबित होगी। भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रम बाजार, न्यायिक प्रणाली और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सुधारों की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही, समावेशी और स्थायी विकास की नीतियों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। भारत के सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन यदि सही दिशा में काम किया जाए तो 2047 तक यह सपना साकार हो सकता है। केवल नीतियों के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता, राजनीतिक इच्छाशक्ति और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी से ही भारत इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।