नई दिल्ली। केंद्रीय वस्त्र, वाणिज्य और उद्योग तथा उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने एक प्रसिद्ध वयोवृद्ध कपास व्यापारी सुरेश भाई कोटक की अध्यक्षता में भारतीय कपास परिषद के गठन की घोषणा की है। परिषद में वस्त्र मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारतीय कपास निगम और कपास अनुसंधान संस्थान का प्रतिनिधित्व रहेगा। प्रस्तावित परिषद की पहली बैठक 28 मई 2022 को निर्धारित की गई है। परिषद इस क्षेत्र में ठोस सुधार लाने के लिए चर्चा, विचार-विमर्श और एक मजबूत कार्य योजना तैयार करेगी। इस बैठक में वस्त्र राज्य मंत्री दर्शना जरदोश, वस्त्र सचिव और कृषि सचिव भी उपस्थित थे।
बैठक में, कपास और धागे के मूल्य में तत्काल आधार पर कमी के लिए विभिन्न वर्गों के विचारों और सुझावों पर विचार-विमर्श किया गया, ताकि मौजूदा मौसम में अभूतपूर्व मूल्य वृद्धि की समस्या से निपटा जा सके। बैठक में यह बताया गया कि कपास की उत्पादकता देश में सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि देश में कपास की खेती के लिए सबसे अधिक क्षेत्र उपलब्ध होने के बावजूद कपास का उत्पादन कम होता है। मंत्री ने कपास की खेती करने वाले किसानों की उत्पादकता में सुधार लाने के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक को संबोधित करते हुए, पीयूष गोयल ने सरकार को हस्तक्षेप करने के लिए दबाव डाले बिना, प्रतिस्पर्धा और अधिक मात्रा में लाभ कमाने की बजाय सहयोग की भावना से कपास और धागे के मूल्य की समस्या को हल करने के लिए सभी हितधारकों को एक स्पष्ट और जोरदार संदेश दिया क्योंकि इससे कपास के मूल्य श्रृंखला पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है।
उन्होंने इस महत्वपूर्ण मोड़ पर आउट ऑफ बॉक्स सोच के माध्यम से पिछड़े और अगड़े के एकीकरण में लगे हितधारकों को हर संभव समर्थन देने के अलावा, कपास मूल्य श्रृंखला का सबसे कमजोर हिस्सा, कपास की खेती करने वाले किसानों की स्थिति मज़बूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार कपास की खेती करने वाले किसानों, कताई करने वालों और बुनकरों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने 30 सितंबर 2022 तक लदान के बिल जारी होने वाले आयात अनुबंधों पर आयात शुल्क से छूट के लिए कताई क्षेत्र की मांग पर सक्रिय रूप से विचार करने का आश्वासन दिया, जिससे मौजूदा कपास की कमी और लॉजिस्टिक्स मुद्दों को हल किया जा सके।
श्री गोयल ने कताई और व्यापारिक समुदाय से यह भी अपील की कि पहले घरेलू उद्योग को कपास और सूत की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें और केवल अधिशेष कपास और धागे को निर्यात करने के लिए भेजा जाना चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि निर्यात घरेलू उद्योग की कीमत पर नहीं होना चाहिए जो देश में रोजगार सृजन का सबसे बड़ा माध्यम है।