झारखंड पेट्रोल डीजल एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार को राज्य भर के सभी पेट्रोल पंप बंद रहे, हालांकि इससे पेट्रोल पंप मालिकों को घाटा जरूर हुआ है, लेकिन इन्होंने अपनी मनसा साफ करते हुए राज्य सरकार से राज्य में अविलंब वैट कम करने की मांग की है. इसके अलावा राज्य के सरकारी विभागों के पास पेट्रोल पंप मालिकों के करोड़ों रुपए बकाए का भी भुगतान अविलंब किए जाने की मांग की है. साथ ही बायोडीजल की वैधता पर सवाल उठाते हुए इसके लाइसेंस निर्गत करने वाले संस्थान को चिन्हित करने की मांग की है. इस संबंध में जानकारी देते हुए झारखंड पैट्रोल डीजल एसोसिएशन के सचिव ने बताया, कि यह बंदी काफी सफल रही है. राज्य सरकार द्वारा वैट के दरों में कमी नहीं किए जाने से पेट्रोल पंप संचालकों को नुकसान हो रहा है. साथ ही राज्य में आने वाला राजस्व पड़ोसी जिलों में हस्तांतरित हो रहा है. वही एसोसिएशन की बंदी पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए इसे भाजपा की साजिश करार दी है. कांग्रेस के जोनल प्रवक्ता सुरेशधारी ने बताया, कि मुख्यमंत्री की बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर भाजपा पर्दे के पीछे से पेट्रोल पंप मालिकों को गुमराह कर रही है. उन्होंने बताया जब दूसरे राज्यों में वैट अधिक लिया जा रहा था, उस वक्त झारखंड में वेट कम थे, और पेट्रोल डीजल कम कीमतों पर मिल रहे थे. उस वक्त किसी ने कोई विरोध नहीं किया. अब जब दूसरे राज्यों में वैट कम है तो यहां के पेट्रोल पंप मालिकों द्वारा विरोध करना जायज नहीं है.
झारखंड के पेट्रोल पंप को को बंद करना जनविरोधी कार्य है :सुरेश धारी
झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के आव्हान पर आज झारखंड के पेट्रोल पंप के बंद किए जाने का कांग्रेस पार्टी निंदा करती है,
आज दिनांक 21 दिसंबर मंगलवार को पेट्रोल पंप के हड़ताल पर कांग्रेश के जोनल प्रवक्ता सुरेश धारी और कांग्रेस के प्रदेश प्रतिनिधि समरेंद्र तिवारी ने अपने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार की लोकप्रियता से घबराकर भाजपा पर्दे के पीछे से झारखंड पेट्रोलियम डीलरशिप एसोसिएशन के कंधे पर बंदूक रखकर राज्य की 3 करोड़ से ज्यादा जनता को परेशान करते हुए अपनी राजनीति करना चाहती है।
ज्ञात हो कि पेट्रोल पंप सरकार के ही लोक उपक्रम है और जनहितकारी कार्यों के लिए आवश्यक सेवा अधिनियम के अंतर्गत आते हैं वैसी स्थिति में इनके द्वारा पेट्रोल पंप पोको बंद कर हड़ताल करना राज्य के किसानों ,मजदूरों ,वाहन चालकों ,ट्रांसपोर्टरों और उद्योगों के विरोध में किया गया कृत्य हैं।
झारखंड सरकार को ऐसे लोगों पर अभिलंब कानूनी कार्रवाई करते हुए इनके अनुज्ञप्ति को निरस्त कर नए बेरोजगार स्थानीय युवाओं को पेट्रोल पंप दिया जाना चाहिए । साथ ही हड़ताल में शामिल पेट्रोल पंपों पर आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट के तहत आज के हुए नुकसान का आकलन करते हुए कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ।
ज्ञात हो कि पिछले कई वर्षों से बिहार और पड़ोसी राज्यों से झारखंड में पेट्रोल डीजल के दर काफी कम थी और पेट्रोल पंप मालिकों को उससे भारी लाभ हो रहा था, झारखंड सरकार अपना राजस्व नुकसान उठाकर भी लोगों को राहत दे रही थी ।
फिर भी आज पेट्रोल पंप बंद करना अत्यंत दुर्बल दुर्भाग्यपूर्ण है इसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।