बस, जरा एक एहसान कर….
अजीत राय
यह कोविड-19 अभी तक कितनी जानों को अपने आगोश में ले लिया, का न तो हमारे पास कोई सटीक आकलन है, और कितनी जिंदगियों को अभी अपनी चपेट में लेगा, का अनुमान लगाया जा सकता है। पर, एक बात जो सबसे ज्यादा पीड़ा पहुंचाने वाली है, वह यह है कि इसके रोकथाम और इस पर जीत पाने के लिए, हर स्तर पर जिस मैराथन प्रयास और जद्दोजहद की जरूरत नजर आती है, पर समय जाया न कर, हम सियासी नफा-नुकसान और सियासी बढ़त को बढ़ाने-घटाने के गणीत में उलझने से बाज नहीं आ रहे, जो कि समय की नजाकत के हिसाब से निंदनीय है।
इधर, दो दिन पहले कोरोना के जिस नये वायरस का स्ट्रेन सिंगापुर से जोड़ते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तत्काल सिंगापुर से हवाई सेवाएं रोके जाने चाहिए वाला बयान दिया, और, उनके उस बयान को लेकर जिस तरह की बातें की गईं, वह महज सिंगापुर की सरकार को खुश रखने की कवायद से ज्यादा कुछ भी नहीं है। अगर, किसी तीसरी तबाही के मंजर से बचने के मद्देनजर उन्होंने ऐसा कह भी दिया, तो उसको लेकर इतना सियासी तूफान खड़ा करने की कोई जरूरत ही नहीं थी। मगर, इस मामले में अरविंद कजरीवाल को कहीं सियासी बढ़त न मिल जाएं, को ध्यान में रखकर उन पर गंदी राजनीति करने का आरोप मढ़ देना, किसी भी कोण से गले नहीं उतरता। अगर, अरविंद केजरीवाल का महज यह बयान एक गंदी राजनीति का हिस्सा है, तो अपने सदर-ए-निजाम नरेंद्र मोदी के जिस सियासी और चुनावी जिद की वजह से देश की लाखों जिंदगियां काल के गाल में समा गईं, क्या इससे भी कोई गंदी राजनीति हो सकती है..??
आज जिस दूसरी लहर की तबाही को हम भारतवासी ही नहीं, पूरा विश्व देखने को अभिशप्त है, के तार ब्रिटेन से जुड़े थे। मामला संज्ञान में आते ही, हमारे देश के कर्तव्यनिष्ठ वैज्ञानिकों ने एहतियातन केंद्र की सरकार को सतर्क हो जाने की पुनीत सलाह दी थी। पर, हमने उनकी नेक सलाहों को तवज्जो नहीं दिया, और परिणाम हम सबके सामने है। बेशक, सिंगापुर की सरकार थोड़ा सख्त मिजाज है, और कोरोना के लिए बने नियम-कायदे मनवाने के प्रति भी हमारे मुकाबले कहीं ज्यादा सख्त है। नतीजतन, वहां सक्रमितों की संख्या बहुत कम है। मगर, इस बात की क्या गारंटी कि सिंगापुर से आने वाला कोई यात्री अपना समुचित टेस्ट करवा कर आ रहा हो…? या, वह संक्रमित न हो..? दूसरा, क्या यह सही नहीं है कि अन्य देशों के मुकाबले हमारे देश के एयरपोर्ट पर करोना जांच की व्यवस्था काफी लचर है..??
सच्चाई तो यही है, कि हमारे यहां एयरपोर्ट पर सही तरीके से जांच होती ही नहीं। अगर, ढंग से कोरोना की जांच होती, तो एयरपोर्ट से बाहर किसी मरीज को बगैर मंजूरी पैर रखने की हिम्मत तक नहीं होती। पर, हमारी लचर व्यवस्था का ही आलम है कि लोग एयरपोर्ट पर जांच करवाते हैं, और रिपोर्ट आने से पहले ही किसी अन्य मार्ग से अपने गंतव्य को निकल जाते हैं। लिहाजा, देश की तमाम सरकारों को, 80 फीसदी अधिक तेजी से फैलने वाले इस कोरोना स्ट्रेन पर, किसी भी तरह की सियासत करने की बजाय सतर्क रहते हुए समन्वय बनाने की जरूरत है।