संपादकीय
आखिर स्वाति मालीवाल प्रकरण के पीछे का क्या है सच ?
स्वाति मालीवाल से संबंधित मामला लगातार तूल पकड़ रहा है, जो आम आदमी पार्टी के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है। स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल का पीए बिभव कुमार गिरफ्तार कर लिया गया है, इसके बाद सियासत और बढ़ गई है। सीएम अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार उसकी गिरफ्तारी के बाद से बीजेपी आम आदमी पार्टी पर और ज्यादा हमलावर हो गई है।
आम आदमी के लिए मुश्किल इस बात की भी है कि स्वाति मालीवाल की मेडिकल रिपोर्ट भी इस बात की तस्दीक करती है कि उनके शरीर पर चोट के निशान हैं, इन सबके बावजूद कुछ वाजिब सवाल तो दिल्ली की पूर्व महिला आयोग की अध्यक्ष पर भी उठते हैं। खासकर, एफआईआर देरी से दर्ज कराने के मामले में। दरअसल, स्वाति मालीवाल के साथ 13 मई को कथित मारपीट हुई थी। उनका कहना है कि वे सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके आवास पर गई थीं, लेकिन वहां पर बिना किसी उकसावे के केजरीवाल के पीए बिभव कुमार ने उनके साथ मारपीट की। 7-8 थप्पड़ मारे, लात-घूसे चलाए, सिर पटका और धक्का मुक्की तक की। स्वाति के ही मुताबिक उन्होंने सीएम आवास से ही पुलिस को फोन लगा दिया था, अपने साथ हुए अत्याचार की जानकारी भी दी।
अब अगर सोचा जाए तो स्वाति को तुरंत ही एफआईआर दर्ज करवानी चाहिए थी। वे तो पुलिस थाने तक गई भी थीं, लेकिन बताया गया कि बिना शिकायत लिखाए वे वापस भी चली गईं। सवाल यह है कि अगर, मारपीट हुई थी तो बिना शिकायत के कैसे वापस चली गईं ? हैरानी की बात यह भी है कि पुलिस तो इंतजार करती रह गई, लेकिन स्वाति को ही एफआईआर दर्ज करवाने में तीन दिन लग गए। अब उन तीन दिनों में ऐसा क्या हुआ, क्या स्वाति पर कोई दबाव था, स्वाति आगे की रणनीति बता रही थीं, किसी को कुछ नहीं पता ?
आम आदमी पार्टी इस समय स्वाति मालीवाल को लेकर ये सवाल उठा रही है कि 13 मई को जब वे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास से बाहर निकली थीं तो वह लड़खड़ा नहीं रही थीं, जबकि वह तो काफी आराम से चली गई थीं, लेकिन 17 मई को जब मेडिकल हुआ तो वह लड़खड़ाते हुए बाहर निकलीं। पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने मीडिया के सामने भी यही सवाल उठाया कि स्वाति मालीवाल के साथ अगर, इतनी मारपीट हुई थी तो वे आखिर कैसे इतनी आराम से बाहर निकल गईं, तब क्यों उन्हें चलने में कोई दिक्कत नहीं हुई? अब ये सवाल भी इसलिए उठ रहा है क्योंकि अभी तक 13 मई की घटना का पूरा वीडियो सामने नहीं आया है, जो वीडियो सामने आया भी है, उसमें ऐसा कुछ नहीं दिख रहा जो स्वाति ने दावा किया है।
उधर, 13 मई का जो वीडियो सामने आया है, उसमें तो स्वाति सोफे पर बैठी हुई थीं, दो कर्मचारी उनसे बात कर रहे थे। कर्मचारी कहते सुनाई दे रहे थे कि मैडम आप बाहर चलिए, वही स्वाति कह रही थीं कि मैंने 112 पर कॉल कर दिया है, एसएसपी को यही बुलाइए। इस पर कर्मचारी कह रहा था कि पुलिस भी तो बाहर ही आएगी, आप बाहर चलिए, आप तो पढ़े-लिखे हैं, आपके साथ हम ऐसे नहीं कर सकते हैं।
उस वीडियो के आखिर में स्वाति ने जरूर बिभव को लेकर कुछ अपशब्द बोले हैं। यानी कि जो वीडियो में अभी तक दिखा है, बिभव की कोई भूमिका सामने नहीं आई है। इस समय सभी के लिए सिर्फ उतना ही सच है जितना स्वाति मालीवाल ने बताया है। चिंता की बात यह है कि पुलिस को अभी तक उस घटना की सीसीटीवी फुटेज नहीं मिल पाई है।
इस पूरे विवाद में एक सवाल पीछे छूट चुका है, आखिर स्वाति मालीवाल 13 मई को अचानक से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने आई क्यों थीं? उन्होंने जो शिकायत भी दर्ज करवाई, उसमें उस मुलाकात के कारण को लेकर कुछ भी नहीं बताया गया, ऐसे में किस उकसावे में हमला हुआ, किस उकसावे में बिभव ने कथित मारपीट की, ये साफ नहीं हो पा रहा है। अगर स्वाति के आने का कारण पता चल जाए, तो इस पूरी घटना की असल और सच्ची कहानी सभी को पता चल सकती है।
यह सवाल ज्यादा जरूरी इसलिए भी है, क्योंकि स्वाति मसलीवाल पिछले काफी समय से आम आदमी पार्टी के साथ ज्यादा सक्रिय दिखाई नहीं पड़ रही थीं। केजरीवाल की गिरफ्तारी से लेकर उनकी जमानत तक, किसी भी मुद्दे पर उनकी तरफ से कोई बयानबाजी नहीं हुई। ऐसे में, अचानक से क्यों उन्हें केजरीवाल से मिलने की जरूरत पड़ी, उस मुलाकात का कारण क्या था, इसका जवाब आना जरूरी है।
बता दें कि स्वाति मालीवाल आम आदमी पार्टी की सांसद हैं, एक समय तो अरविंद केजरीवाल की भरोसेमंद भी मानी जाती थीं, लेकिन अब उनकी भूमिका सिर्फ महिला अधिकारों की रक्षा करने वाली एक शख्सियत तक सीमित रह गई है। उन्हें आम आदमी पार्टी में वो प्रमोशन नहीं मिला, जिसकी उम्मीद उन्होंने की होगी। इसी वजह से आम आदमी पार्टी खुद यह सवाल उठा रही है- क्या स्वाति मालीवाल किसी दबाव में हैं, क्या वे इस बार बीजेपी के इशारों पर ये सबकुछ कर रही हैं? आतिशी ने जिक्र कर दिया है कि स्वाति मालीवाल कुछ पुराने मामलों में फंसी हुई हैं, शायद इस वजह से वे दबाव में आ गई हों और उन्होंने इस विवाद को हवा दी, लेकिन इस प्रकरण में दोनों ही पक्ष घिरे हुए। आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल इसीलिए है, क्योंकि देश में आम चुनाव चल रहे हैं और इस प्रकरण का निश्चित ही आम आदमी पार्टी को नुकसान झेलना पड़ेगा।