अलविदा दीदी ! जब भी तुम याद आओगी, ये दिल भर आएगा और आंसुओं से छलक जाएंगी ये आंखे
देवानंद सिंह
स्वर कोकिला लता मंगेशकर की निधन की खबर आते ही पूरे देश में एक अजीब-सा खालीपन छा गया। ऐसा हो भी क्यों नहीं, उनके हर तरह के गाने सुनकर कई पीढ़ियां आगे बढ़ी हैं। पूरी दुनिया में उनकी आवाज का जादू था। वह इस जादुई आवाज की बेताज बादशाह थीं। उनकी इसी आवाज ने उन्हें पूरी दुनिया का चहेता बना दिया था। अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिलों में राज करने वाली स्वर कोकिला के निधन की खबर सुनने के बाद उनके चाहने वाले अपने आंसू नहीं रोक पा रहे हैं। वास्तव में, लता मंगेशकर का म्यूजिक इंडस्ट्री में योगदान अतुलनीय था। जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। 78 साल के करियर में लता मंगेशकर ने 25 हजार गाने गाए। लता को कई सारे पुरस्कारों से नवाजा गया था। वे तीन बार नेशनल अवॉर्ड विनर रही थीं। इसके अलावा दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड और भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी उन्हें नवाजा गया। लता दीदी बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा की धनी थीं, उन्होंने महज 5 साल की ही उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। उनकी प्रतिभा व कर्तव्यनिष्ठा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस उम्र में बच्चे खेलते पढ़ते हैं, तब लता दीदी ने घर की जिम्मेदारी संभालनी शुरू कर दी थी। अपने भाई-बहनों के बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने कभी शादी नहीं की। दरअसल, उनके पिता का निधन 1942 में हो गया था। बड़ी संतान होने के कारण परिवार का सारा भार लता दीदी के कंधों पर आ गया था। जिसके बाद लता दीदी के पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने उन्हें बड़ी मां फिल्म में रोल ऑफर किया, जिसके लिए वो मुंबई आईं। इसके साथ ही लता दीदी ने उस्ताद अमन अली खान से हिंदुस्तानी म्यूजिक सीखा। लता दीदी ने अपने करियर में कई लिजेंड्री म्यूजिक डाटरेक्टर के संग काम किया, जिसमें मदन मोहन, आरडी बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और एआर रहमान भी शामिल हैंl। उन्होंने हिंदी फिल्मों के अलावा दर्जनों क्षेत्रीय फिल्मों के लिए भी गाने गाए। उनके लंबे और प्यारे सफर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने मधुबाला से लेकर प्रियंका चोपड़ा तक के लिए अपनी आवाज दी। उन्हें भारत की स्वर कोकिला के साथ ही पूरे विश्व में सुरों की साम्राज्ञी माना जाता था। हमेशा से यह कहा जा रहा है कि उनकी जैसी आवाज दुनिया भर में न किसी की थी न किसी की होगी। सुरों के मामले में वे महानतम में महानतम थीं। उनका जन्म 28 सितंबर 1929 को तत्कालीन इंदौर स्टेट में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी और कोंकणी संगीतकार थे। इसलिए यह भी कहा जाता है कि लता दी का जन्म ही संगीत के साथ हुआ। ‘लता दीदी’ से मशहूर लता मंगेशकर क्रिकेट की बहुत बड़ी फैन भी थीं। अक्सर, उनके सोशल मीडिया अकाउंट से क्रिकेट को लेकर या किसी मैच पर ट्वीट होते रहते थे। करीब 39 साल पहले जब भारतीय क्रिकेट टीम पहली बार 1983 में वर्ल्ड कप जीतकर स्वदेश लौटी थी तो बीसीसीआई के पास खिलाड़ियों को देने के लिए पैसे तक नहीं थे, ऐसे में लता मंगेशकर ने उनकी मदद की थी। वास्तव में, हमारे बीच से इतनी बड़ी शख्सियत का जाना बहुत बड़ा आघात है, जो एक खालीपन वह छोड़ गई हैं, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता है। आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी, जिनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी।