कब तक राजनीत का प्रयोगशाला रहेगा झारखंड,22 वर्षों में पावर ब्रोकर ने ही चलाया झारखंड
देवानंद सिंह
राष्ट्र संवाद नजरिया : कब तक राजनीत का प्रयोगशाला रहेगा झारखंड, क्या मान लिया जाए कि इन 22 वर्षों में पावर ब्रोकर ने ही चलाया झारखंड को , विकास की गति को अवरुद्ध कर पावर ब्रोकरों ने विकास बनाम बदनाम
झारखंड जब नया राज्य बना था तो उसके साथ बहुत सारी उम्मीदें थीं, लेकिन जिस तरह यह युवा राज्य शुरू से ही राजनीति का शिकार होता आया है, उससे राज्य विकास के सपने धराशाही होते आए हैं। राज्य में जो भी पार्टी सत्ता में आई, उसने राज्य के विकास पर कम, बल्कि अपने विकास पर अधिक ध्यान दिया। भरपूर संसाधनों से लैस झारखंड राज्य शुरू से ही राजनीति का प्रयोगशाला बना रहा। सत्ता में चुनी हुई सरकार जरूर आई, लेकिन सत्ता पावर ब्रेकर के हाथ में रही, उन्होंने अपने हिसाब से झारखंड को चलाया। उन्होंने अपनी जेब भी भरी और राजनेताओं की भी, जिसमें विकास को तिलांजलि दी जाती रही। इसका नतीजा यह रहा कि जनप्रतिनिधियों की तिजोरियां तो भरती रहीं, लेकिन राज्य का खजाना खाली होता था, जिसके चलते आम जनता बेहाल होती रही। जिस राजनीतिक प्रयोगशाला की हमने शुरू में बात की, वह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ईडी की तलवार लटकी पड़ी है और कोर्ट का भी डंडा है। आलम यह है कि उनकी विधायकी कभी भी जा सकती है। दूसरा, जिस तरह से ईडी ने झारखंड के साथ ही बिहार में कई जगहों पर छापेमारी की है, उससे कई और घपलों के सामने आने की संभावना बढ़ गई है। पहले बात झारखंड की करते हैं।
दरअसल, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच कर रही ईडी ने बुधवार को झारखंड के चर्चित कारोबारी प्रेम प्रकाश उर्फ पीपी के कई ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान ईडी को उनके हरमू स्थित शैलोदय भवन स्थित आवास से दो एके-47 बरामद हुए। दोनों AK-47 एक अलमीरा में रखे हुए थे। इसके अलावा साठ कारतूस भी मिले। छापेमारी से एक दिन पहले ही पीपी रांची में देखे गए थे। इससे पहले ईडी सुबह रांची के अरगोड़ा चौक के पास वसुंधरा अपार्टमेंट के 8वें तल पर पहुंची। यहां भी प्रेम प्रकाश के दफ्तर में छापेमारी की गई।
इतना ही नहीं, ओल्ड एजी कॉलोनी स्थित हॉली एंजल स्कूल भी ईडी की रडार पर है। छापेमारी के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से सीआरपीएफ जवानों को तैनात किया गया था। खैर, प्रेम प्रकाश के बारे में बहुत अधिक चर्चा करने की जरूरत इसीलिए नहीं है, जब आईएएस पूजा सिंघल प्रकरण हुआ था, उसमें प्रेम प्रकाश की खूब चर्चा हो चुकी थी और उसी से जुड़े मामले पर ईडी की जांच पड़ताल चल रही थी, लेकिन बुधवार को अचानक ईडी की सक्रियता देखने को मिली, इससे और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं, क्योंकि प्रेम प्रकाश झारखंड की सत्ता कोई छोटा मोटा दलाल नहीं रहा, बल्कि वह सत्ता को ही अपनी उंगलियों पर नाचता था, चाहे राज्य में किसी की भी सरकार क्यों ना रही हो। यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि कभी प्रेम प्रकाश मिड-डे-मील के लिए अंडे की सप्लाई किया करता था, इसके बाद भी उनकी करीबी कई आईएएस अधिकारियों से हो गई। वर्तमान सरकार में ट्रांसफर पोस्टिंग कराने वाले बड़े चेहरे के तौर पर प्रेम प्रकाश की पहचान रही है। कहा तो यहां तक जाता है कि सरकार की तरफ से होने वाले हर ट्रांसफर पोस्टिंग में उनकी सहमति रहती थी। बिना उनकी सहमति के कोई भी तबादला नहीं हो सकता था। इससे साफ जाहिर होता है कि सत्ता में दलालों का बहुत अधिक वर्चस्व रहा।
अब बात करते हैं बिहार की। झारखंड बिहार से अलग होकर ही राज्य बना। बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बना ली है। आज नीतीश और तेजस्वी सरकार ने विश्वास मत भी हासिल कर लिया है। जब जेडीयू का बीजेपी से गठबंधन टूटा था तो आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि अब ईडी और सीबीआई के छापे पड़ सकते हैं, बुधवार यही हुआ, सीबीआई की टीम ने कई जगहों पर छापे मारे।
सीबीआई ने बुधवार सुबह बिहार में राजद के कई नेताओं के परिसरों में नौकरी के बदले जमीन के कथित घोटाले के सिलसिले में तलाशी अभियान शुरू किया, यह कथित मामला उस समय हुआ था,जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे। अधिकारियों ने कहा कि एमएलसी सुनील सिंह, राज्यसभा सांसद अशफाक करीम और फैयाज अहमद और पूर्व एमएलसी सुबोध राय समेत राजद के कई वरिष्ठ नेताओं के परिसरों में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। प्रसाद के करीबी माने जाने वाले सुनील सिंह ने अपने अपार्टमेंट की बालकनी से चिल्लाते हुए कहा कि “यह 100 प्रतिशत जानबूझकर है। ये लोग स्थानीय पुलिस को सूचित किए बिना मेरे घर में घुस गए हैं। वे मुझसे एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए कह रहे हैं।” सिंह की पत्नी ने कहा, “मेरे पति को उनकी वफादारी के कारण पीड़ित किया जा रहा है। सीबीआई को हमारी जगह से कुछ नहीं मिलेगा।
हम मानहानि के लिए एजेंसी पर मुकदमा करेंगे। बताया जा रहा है कि सीबीआई ने मामले में 2008-09 में मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर, हाजीपुर के रेलवे जोन में नौकरी देने वाले 12 लोगों के अलावा राजद सुप्रीमो, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव को नामजद किया है। केंद्रीय एजेंसी ने 23 सितंबर 2021 को रेलवे में जमीन के बदले नौकरी घोटाले को लेकर प्राथमिक जांच दर्ज की थी। एजेंसी के अनुसार, रेलवे अधिकारियों द्वारा “अनुचित जल्दबाजी” में आवेदन करने के तीन दिनों के भीतर उम्मीदवारों को समूह डी पदों पर विकल्प के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में “इसके बदले व्यक्तियों या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी जमीन हस्तांतरित कर दी। एजेंसी ने आरोप लगाया कि राबड़ी देवी के नाम पर तीन बिक्री विलेख और मीसा भारती के नाम पर एक और हेमा यादव के नाम पर दो उपहार पत्रों के माध्यम से तबादले किए गए। अब देखना है कि आने वाले दिनों में इस जांच के क्या नतीजे सामने आते हैं और राजनीति का रुख किस तरफ मुड़ता है।