वाराणसी. 18 वीं सदी में बनी मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को कनाडा से भारत लाया जा चुका है, इसे अब वाराणसी में स्थापित किया जाएगा.देश की धरोहर को देश में वापस लौटाने के क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना बड़ा वादा निभाया है. पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम में बीते वर्ष 29 नवंबर को देश के लोगों को मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा में मिलने की जानकारी दी थी. इसके बाद से उन्होंने इसको बड़े अभियान के रूप में लिया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 29 नवंबर 2020 को अपने कार्यक्रम मन की बात में देश के लोगों को मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा में मिलने की जानकारी दी थी. उन्होंने भारतवर्ष के लोगों के लिए गर्व का पल बताते हुए प्रतिमा देश में वापस लाने की बात कही थी. अब साल भर के भीतर मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को वापस पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थापित भी किया जा रहा है. वाराणसी में एकादशी को 15 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण के रानी भवानी उत्तरी गेट के बगल में मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे.
मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा के मैकेंजी आर्ट गैलरी, यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना (McKenzie Art Gallery, University of Regina) में रखी गई थी. इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकीन नार्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार बनाया गया था. यहां पर 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की कलाकार दिव्या मेहरा को यहां प्रदर्शनी के लिए बुलाया गया था. जहां उन्होंने मूर्ति पर अध्ययन किया और दूतावास को सूचित किया तो पता चला कि वर्ष 1913 में वाराणसी में गंगा किनारे मूर्ति चोरी हुई थी. वर्ष 1913 में वाराणसी से यह प्रतिमा चोरी हुई थी और कनाडा के बिनिपेग म्यूजियम में भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा की नजर प्रतिमा पर पड़ी और उनके प्रयासों के बाद यह प्रतिमा दूतावास की पहल के बाद भारत सरकार को इसे कनाडा सरकार की पहल पर सौंप दिया गया.
बलुआ पत्थर से बनी मूर्ति
चुनार के बलुआ पत्थर से बनी यह मूर्ति 18 वीं सदी की बताई जाती है. जिनके एक हाथ में कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच है. महादेव की नगरी काशी के लोगों को कभी भूखा न सोने देने वाली धन धान्य की देवी मां अन्नपूर्णा की मूर्ति का इंतजार काशी को अब खत्म होने जा रहा है. पौराणिक मान्यता के अनुसार काशी में एक बार भीषण अकाल पड़ा था तो भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान करने के बाद उनसे भिक्षा मांगी थी. तब अन्नपूर्णा ने कहा था कि अब से काशी में कोई भूखा नहीं सोएगा.