नई दिल्ली. भारत ने इटली की डिफेंस साजो-सामान बनाने वाली कंपनी लिओनार्डो एसपीए के साथ व्यापार सौदों पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया है. यह कंपनी 3,546 करोड़ रुपये के कुख्यात वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में शामिल अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल से जुड़ी फिनमेकेनिका समूह का हिस्सा रही है. रक्षा मंत्रालय की तरफ से कुछ शर्तों के साथ लियोनार्डो एसपीए के साथ व्यापार फिर से शुरू करने का फैसला लिया है.
कोई व्यावसायिक दावा नहीं कर सकेगी कंपनी
शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि शर्तों के तहत लियोनार्डो एसपीए किसी भी पिछले सौदे के लिए कोई व्यावसायिक दावा नहीं कर सकता है या भारत सरकार के खिलाफ कोई नागरिक मुकद्दमा दायर नहीं कर सकता है. सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा जो भी व्यापारिक सौदे होंगे उसका उसके पहले के सौदों से कोई प्रभाव नहीं होगा. साथ ही सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से कथित वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले की चल रही जांच के जारी रहेगी.
इटली बार-बार कर रहा था अनुरोध
रक्षा मंत्रालय ने इतालवी कंपनी पर से प्रतिबंध हटाने का फैसला एक हाईलेवल मीटिंग के बाद किया. इसमें विधि मंत्रालय के साथ परामर्श के बाद निर्णय लिया गया. इससे पहले लियोनार्डो एसपीए की तरफ से बैन खत्म कर फिर से डिफेंस डील करने का अनुरोध किया गया था. इटली बार-बार भारत से द्विपक्षीय वार्ता में प्रतिबंध हटाने की मांग करता रहा है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 अक्टूबर को रोम में जी -20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अपने इतालवी समकक्ष मारियो ड्रैगी के साथ पहली व्यक्तिगत बैठक भी की.
भारत के पास सीमित विकल्प भी कारण
सूत्रों ने कहा कि लियोनार्डो एसपीए और उसकी सहायक कंपनियों पर प्रतिबंध के कारण अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में “भारत के विकल्प सीमित” थे. इसकी वजह है कि समूह टॉरपीडो और 127 मिमी नौसैनिक बंदूकों से लेकर रडार और कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लेकर हथियार प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन करता है. घोटाले का शुरुआती असर हुआ था कि मझगांव डॉक्स में बनाई जा रही 6 फ्रांसीसी मूल की स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए फिनमेकेनिका की सहायक कंपनी से ब्लैक शार्क भारी वजन वाले टॉरपीडो खरीदने के लिए भारत के प्रस्तावित 1,200 करोड़ रुपये के सौदे को रद्द करना पड़ा था.
360 करोड़ रुपये रिश्वत देने का मामला
साल 2012 की शुरुआत में 3,546 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए भारतीय राजनेताओं, नौकरशाहों और IAF अधिकारियों को 360 करोड़ रुपये रिश्वत के रूप में दिए जाने का आरोप लगा था. यह सौदा 2010 में किया गया था. रक्षा मंत्रालय ने पहले अगस्ता वेस्टलैंड को सभी भुगतान रोक दिए थे. बाद में 2013-2014 में अनुबंध को समाप्त कर दिया. इस मामले में सीबीआई ने पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी, फिनमेकेनिका के सीईओ ग्यूसेप ओरसी, अगस्ता वेस्टलैंड के खिलाफ मामला दर्ज किया था. प्रमुख ब्रूनो स्पाग्नोलिनी और कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स सहित अन्य लोग भी इसमें फंसे थे.