रतन कुमार की रिपोर्ट
खुटौना (मधुबनी) । प्रखंड के शंकरपुर टोले के बेघर परिवार काफी तकलीफ में हैं । विदित हो कि उच्च न्यायालय के आदेश पर सोमवार को अंचल प्रशासन द्वारा चैतू मुखिया, मनोज मुखिया और धुबिया देवी के घरों को तोड़कर गिरा दिया गया था । ये लोग गरीब और भूमिहीन हैं । 50 वर्षों से अधिक समय से बने हुए इनके आशियाने के उजड़ जाने से इनके सामने समस्याओं का पहाड़ टूट पड़ा है । इन्होंने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि दीपावली और छठ महापर्व के समय उनको ऐसे दिन देखने पड़ेंगे । 65 वर्षीय चैतू का कहना है कि उनके घर में एक वर्ष से आठ वर्ष के आठ बच्चे हैं । उनके आठ वर्षीय पोते पंकज को अब यह समझ में नहीं आ रहा कि वह कहां बैठकर पढ़ेगा और खाना खाएगा । उनका चार वर्षीय पोता रितिक की तो बोली ही बंद हो चुकी है । वह बार-बार रोता है और अपने दादा से लिपट जाता है । मनोज मुखिया के घर चार बच्चे हैं । उनकी 62 वर्षीया मां अपने पोते-पोतियों को कुछ समझा नहीं पा रही है । उनकी तीन वर्षीया पोती चांदनी को गहरा आघात लगा है । उसका खेलना-कूदना बंद है । उससे भी बदतर हालत धुबिया देवी के बच्चों की है । उनके घर दस महीने के रोहन सहित तीन बच्चे हैं । तेरह वर्षीय सोहन को कुछ समझ में नहीं आ रहा कि उनके घर को क्यों तोड़ दिया गया । उसकी भी पढ़ाई-लिखाई बंद हो गयी हुई है । रंजीत मुखिया, राम चन्द्र मुखिया, विनोद कुमार मुखिया और राजदेव मुखिया समेत अन्य ग्रामीणों के लिए इन बेघरों के लिए छत की व्यवस्था मुश्किल हो रहा है क्योंकि गांव में न तो कोई खाली जमीन है और न ही कोई सरकारी भवन ही जहां इन्हें शरण दिया जाए । अगल-बगल गांव के दीपक कुमार, धनवीर कामत, लालबाबू कामत तथा आनंद लाल कामत सहित कुछ समाजसेवी बेघर परिवार से मिले हैं और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया है । उधर अंचल अधिकारी रमण कुमार का कहना है कि इन लोगों को बसाने के लिए अंचल प्रशासन पूरी कोशिश करेगा ।