कश्मीर पर सख्त बने सरकार
देवानंद सिंह
कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद जो शांति वहां दिख रही थी, अब उस शांति को आतंकवादियों की नजर लग गई है। लगातार कश्मीर में हो रहे आतंकवादी हमलों ने केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है, इसमें सबसे बड़ी चिंता वाली बात यह है कि 1990 के जैसे हालात राज्य में बनते हुए दिख रहे हैं, क्योंकि उस दौर में जिस तरह हिंदू पंडितों को निशाना बनाया जा रहा था, अभी भी ठीक वही स्थिति है। कुल मिलाकर ऐसे लोगों को चुन चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। उम्मीद दिख रही थी,कश्मीर में अमन शांति आएगी, बाहरी लोग भी यहां आकर अपना आशियाना बसा सकेंगे, उद्योग धंधे लगा सकेंगे, यहां के लोग खुली हवा में सांस ले सकेंगे, पर जिस तरह पहले एक स्कूल और फिर बिहार के मजदूरों को निशाना बनाया गया है, उसने घाटी को एक बार फिर खौफजदा कर दिया है। एक एजेंडे के तहत यहां बाहरी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। मजदूरों को निशाना बनाने का मतलब था कि कोई भी बाहरी यहां आकर काम न करे, उनमें इतना खौफ पैदा कर दो कि वे न तो यहां आने की हिम्मत कर सकें और जो यहां काम कर रहे हैं, वो यहां रुकने का साहस न कर सकें। ऐसा ही हो रहा है, जो बिहार का मजदूर सालों से यहां काम कर रहे थे, वे अपने घर लौटने को मजबूर हैं। अब तक सैकड़ों मजदूर लौट भी गए हैं। निश्चित ही, ऐसे हालातों को देखकर कोई दूसरा वहां जाने की बिलकुल भी हिम्मत नहीं करेगा। यही स्थिति कारोबारियों को लेकर भी है। सरकार भले ही, उधमियों को यहां निवेश करने के लिए आमंत्रित कर रही हो, लेकिन जो हालात बन रहे हैं, उसमें कोई भी उद्यमी यहां आकर निवेश नहीं करना चाहेगा। उसके लिए सरकार को उन्हें सुरक्षा की गारंटी देनी होगी। 370 हटाने के बाद लग रहा था कि सरकार एक तरह से इसमें सफल हो रही है, लेकिन अब लग रहा है कि सरकार यहां के हालातों को काबू करने में विफलता की तरफ बढ़ रही है। इसमें कोई शक नहीं कि सेना के रहते आतंकवादियों के मंसूबे कामयाब नहीं होंगे, पर सरकार को भी अपने मोर्चे पर सतर्क रहना होगा, चाहे वह विदेश नीति हो या फिर पड़ोसी देश से सख्ती से निपटने की बात हो। सरकार को इसके लिए बहुत अधिक इंतजार नहीं करना चाहिए, क्योंकि अफगानिस्तान में जिस तरह तालिबानी आतंकियों के हाथ अमेरिकी सेना के हथियारों का जखीरा लगा है, वह बहुत बड़ा चिंता का विषय है। पाकिस्तान हर संभव इन आतंकवादियों के माध्यम से घाटी में काबुल जैसे ही हालात पैदा करने की कोशिश करेगा। अभी के हालातों से भी लग रहा है कि वहां काबुल जैसी ही स्थिति पैदा करने की कोशिश की जा रही है, इसीलिए यहां हिंदू पंडितों के साथ साथ उन लोगों को भी निशाना बनाया जा रहा है, जो बाहर से आकर यहां बसना चाहते हैं, जो बाहर से काम की तलाश में यहां आए हैं। दरअसल, पाकिस्तान द्वारा पाले गए आतंकवादियों का यही एजेंडा है कि किसी भी हालत में बाहरी लोगों को यहां बसने न दिया जाए। उन्हें टारगेट किया जाए तो वे खुद ही भागने लग जाए। ये ठीक वही हालात हैं, जो काबुल में हैं, क्योंकि वहां भी उन्हीं लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, जो सरिया नहीं मानते हैं। इसीलिए ये जेहादी अपना राज चाहने के लिए इस तरह का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। लिहाजा, सरकार इन हमलों को गंभीरता से ले और घाटी में 1990 जैसे हालात न हों, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएं। यह तब होगा, जब पड़ोसी देश खौफ में रहेगा और आतंकवादियों को अपने दर्दनाक अंजाम का डर होगा।