पटना. बनारसी पंचांग के अनुसार,जीवत्पुत्रिका( जितिया) व्रत 24 घंटे का और मिथिला पंचांग के अनुसार व्रती 35 घंटे का व्रत रखेंगी. बिहार और झारखंड के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में मनाया जाने वाला जितिया का व्रत महत्वपूर्ण त्योहार है. आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि 28 सितंबर दिन मंगलवार को 3.15 बजे से आरंभ होकर 29 सितंबर दिन बुधवार शाम 5.04 बजे तक है. ऐसे में व्रती अपने-अपने पंचांग के अनुसार व्रत रख सकती हैं.
संतान की लंबी आयु के लिए प्रति वर्ष महिलाएं व्रत रखती हैं. इसको लेकर मान्यताएं कई हैं. इस दिन माताएं अपने संतान की सुरक्षा और लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन के नाम पर इस व्रत का नाम जिउतिया व्रत रखा गया है. व्रत के मौके पर महिलाएं कुश से निर्मित जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर पूजा कर कथा सुनती हैं.
मिथिला पंचांग के अनुसार आश्विन कृष्ण सप्तमी सोमवार 27 सितंबर के अल सुबह चार बजे यानी सूर्योदय के पहले सरगही-ओठगन करेंगी. 29 सितंबर को व्रत करने वाले श्रद्धालु 28 की रात में सरगही करेंगे.
जितिया की टाइमिंग को लेकर इस बार हिंदू पंचांग एकमत नहीं है. बनारसी पंचांग के साथ मिथिला पंचांग में समय अलग-अलग दिए हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि इस बार जितिया व्रत दो दिनों का है. बनारसी पंचांग के अनुसार श्रद्धालु 29 सितंबर दिन बुधवार को जिउतिया व्रत करेंगी और गुरुवार 30 सितंबर को सुबह पारण करेंगी. नहाय-खाय 28 सितंबर को होगा. जबकि मिथिला पंचांग के अनुसार, व्रती 28 सितंबर दिन मंगलवार को व्रत रखेंगी और 29 की शाम 5.04 बजे व्रत का पारण करेंगी.
मिथिला पंचांग
सरगही/ओठगन- सोमवार 27 सितंबर
जितिया व्रत-उपवास – मंगलवार 28 सितंबर
पारण- बुधवार 29 सितंबर की शाम 05 :04 के बाद
बनारसी पंचांग
नहाय-खाय व सरगही – मंगलवार 28 सितंबर
जितिया उपवास- बुधवार 29 सितंबर
पारण- गुरुवार 30 सितंबर को सूर्योदय के बाद