वैज्ञानिकों ने विकसित किया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म….. संक्रामक रोगों के खिलाफ वैक्सीन खोज प्रकिया में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने में साबित होगा मददगार ….
नई दिल्ली। एमिटी विश्वविद्यालय और बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन (बीसीएम -हटसन, यूएसए) के वैज्ञानिकों ने क्लीनीकली रूप से महत्वपूर्ण वैक्सीन लक्ष्यों और एपिटोप्स को ढूंढने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म विकसित किया है, जो घातक संक्रामक रोगों जैसे कोविड 19 और चगास रोग की वैक्सीन खोज प्रक्रिया में परिवर्तन ला सकता है। इस शोध का परिणाम यूके की प्रख्यात जर्नल सांइटफिक रिपोर्टस, जो कि पबमेड द्वारा प्रकाशित किया गया है, जिसका शीर्षक आइंडेटिफिकेशन ऑफ वैक्सीन टारगेट्स पैथोजेन एडं डिजाइन ऑफ ए वैक्सीन यूजिंग कंप्यूटेशनल एप्रोचेस है। एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. कमल रावल इस पेपर के मुख्य लेखक हैं और बीसीएम के नेशनल स्कूल ऑफ ट्रापीकल मेडिसिन के डीन प्रोफेसर पीटर होटेज, नेशनल स्कूल ऑफ ट्रापीकल मेडिसिन के को -डीन प्रो मारिया एलेना बोटाजी, बीसीएम के एसोसिएट प्रोफेसर डा उलरिच स्ट्रीच, पेपर के अन्य वरिष्ठ लेखकों में से है। इस अवसर पर एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा. अशोक कुमार चौहान, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के चांसलर डा. अतुल चौहान और एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा. डब्लू सेल्वामूर्ती ने वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी।
संक्रामक रोग हर साल विश्व में कई लाख लोगों की मौत का कारण होते हैं। इस तथ्य के बावजूद संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने के लिए टीकाकरण एक प्रभावी उपाय है। एक अत्यधिक रोगजनक, आसानी से फैलने वाले कोरोनावायरस के कारण पूरी दुनिया इस महामारी की चपेट में है। इस वैश्विक आपदा ने न्यूनतम समय सीमा में सुरक्षित और प्रभावी टीके को विकसित करने की कमी को उजागर कर दिया है।
भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम ने मंगलवार को जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित प्लेटफार्म की सफल तैनाती की घोषणा की, वह वैक्सीन विकास की प्रकिया को तेज कर सकता है और इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित प्लेटफार्म का विभिन्न 40 रोगजनकों पर सफलता पूर्वक प्रशिक्षण किया गया था, जिसमें घातक एसएआरएस – सीओवी -2 (कोविड 19), माइक्रोबैक्टेरियम टयूबरक्लोसिस (टीबी), वाइब्रो कोलेरा ( कोलेरा) एवं प्लामोडियम फाल्सीपारूम (मलेरिया) भी शामिल हैं।
एमिटी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. कमल रावल के अनुसार यह मुख्य नवाचार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर रहा है, जिससे कई हजार प्रोटीन और जीन को सही लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए कई सौ मानकों को जोड़ा जा सके और इन प्रोटीन का उपयोग करके टीका डिजाइन किया जा सके। साक्ष्य के रूप में हमने बाजार में टीकों सहित कई प्रयोगात्मक रूप से ज्ञात वैक्सीन लक्ष्यों पर अपने प्लेटफार्म का परीक्षण किया। शोधकर्ताओं की टीम उपेक्षित बीमारियों में लंबे समय सेे रूचि रखती है, इसलिए आगे बढ़कर एक महत्वपूर्ण रोगजनक के पूरे जीनोम और प्रोटिओम (एक कोशिका में सभी प्रोटीन अनुक्रमों का सेट) का विश्लेषण किया, जिसे ट्राइपैनोसेामा कू्रजी (टी कू्रजी) के रूप में जाना जाता है।