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    Home » आत्मनिर्भर भारत तभी संभव होगा, जब हमारे शहर उत्पादक बनेंगे : हरदीप पुरी
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    आत्मनिर्भर भारत तभी संभव होगा, जब हमारे शहर उत्पादक बनेंगे : हरदीप पुरी

    Devanand SinghBy Devanand SinghSeptember 13, 2021No Comments4 Mins Read
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    आत्मनिर्भर भारत तभी संभव होगा, जब हमारे शहर उत्पादक बनेंगे : हरदीप पुरी

    नई दिल्ली। आवास और शहरी मामले और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि एक आत्मनिर्भर भारत तभी संभव होगा, जब हमारे शहर उत्पादक बनेंगे। उन्होंने सोमवार से शुरू हुए आयोजित ‘कनेक्ट करो 2021 – टुवर्ड्स इक्विटेबल, सस्टेनेबल इंडियन सिटीज’ कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि नागरिक केंद्रित बुनियादी ढांचे और परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित भारत के शहर राष्ट्र के विकास लक्ष्‍यों को प्राप्त करने की कुंजी होंगे। विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआई) द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से यह पांच दिवसीय (13-17 सितंबर, 2021) कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। हरदीप सिंह पुरी ने आज कहा कि 2030 तक, राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 70 प्रतिशत हमारे शहरों से आएगा, क्योंकि तेजी से बढ़ता शहरीकरण समुदायों की क्षमता को बढ़ाता है। विश्व स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले नगर भारतीय नगरों की तुलना में राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में पांच गुना अधिक योगदान करते हैं। हमारे माननीय प्रधानमंत्री की ओर से पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में आह्वान को ध्‍यान में रखते हुए हमें अपने शहरों से जोरदार आर्थिक गतिविधियां चलाने की आवश्‍यकता है। उन्होंने कहा कि भले ही शहर हमारे देश की अर्थव्यवस्था के इंजन बन जाते हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो 2030 तक तेजी से शहरीकरण और जटिल प्रवासी प्रवाह से उत्पन्न होगा। भारत में शहरी आबादी लगभग दोगुनी होकर 630 मिलियन हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर हमें विकास के इस स्तर को सुगम बनाना है, तो हमें अपने शहरी बुनियादी ढांचे को काफी उन्नत करना होगा और हमारे शहरों पर कोविड​​​​-19 के भयानक प्रभाव ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। शहरीकरण के विकास के प्रतिकूल प्रभाव पर बोलते हुए, पुरी ने कहा कि हमारे शहरों की क्षमता को साकार करना केवल एक आर्थिक अनिवार्यता नहीं है; यह एक पर्यावरणीय वास्तविकता भी है। हमारे शहर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के मैदान होंगे। जैसा कि हाल ही में आईपीसीसी की रिपोर्ट बताती है, शहर जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा पोषक होने के साथ-साथ सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और इस कारण से भारत सरकार ने विश्‍व के किसी भी हिस्‍से की तुलना में सबसे व्यापक और नियोजित शहरीकरण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है।
    बॉक्स
    पिछले छह वर्षों में शहरी विकास पर कुल खर्च में आठ गुना हुई है वृद्धि ….. आवास और शहरी मामले और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, पिछले छह वर्षों (2015-2021) में शहरी विकास पर कुल खर्च में आठ गुना वृद्धि हुई है, यह आंकड़ा लगभग 11.83 लाख करोड़ रुपये है, जबकि 2004 से 2014 तक यह आंकड़ा 1.57 लाख करोड़ रुपये था। हमने न केवल महत्वाकांक्षी योजनाओं को सफलतापूर्वक संचालित किया है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और विरासत संरक्षण जैसे मुख्यधारा के पहलुओं को भी शामिल किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) पर, पुरी ने कहा कि इसे अभूतपूर्व सफलता मिली है, क्योंकि लगभग 1.13 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है और लाभार्थी पहले ही 50 लाख से अधिक आवास इकाइयों में चले गए हैं और हम 2022 के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं। भूमि उपयोग योजना की उन्नत प्रथाओं को शामिल करते हुए, टिकाऊ और ऊर्जा-दक्ष तरीकों का उपयोग करके काफी संख्‍या में आवास को विकसित किया गया है। कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत मिशन) पर उन्होंने कहा कि इसने बुनियादी सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा किया है। अमृत ​​के तहत, 3,700 एकड़ में 1,831 पार्क विकसित किए गए हैं, और 85 लाख स्ट्रीट लाइटों को बदला गया है, जिसके परिणामस्वरूप 185.33 करोड़ यूनिट (केडब्‍ल्‍यूएच) की ऊर्जा बचत हुई है। इन मिशनों को लागू करने में सरकार द्वारा हासिल किए गए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ये मिशन आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय स्थिरता प्राप्त करने पर केंद्रित हैं। हमारा मानना ​​है कि बेहतर शहरी पारिस्थितिकी तंत्र का न केवल एसडीजी 11 (सतत शहरों और समुदायों) के लक्ष्यों पर बल्कि गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई जैसी अन्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर भी मात्रात्मक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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