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    Home » Fasttag में हुआ यह बदलाव, कमर्शियल व्हीकल्स ने की जीएसटी चोरी तो तुरंत लग जाएगा पता
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    Fasttag में हुआ यह बदलाव, कमर्शियल व्हीकल्स ने की जीएसटी चोरी तो तुरंत लग जाएगा पता

    Devanand SinghBy Devanand SinghMay 20, 2021No Comments2 Mins Read
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    नई दिल्ली. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिकारियों को अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही के वास्तविक समय की जानकारी भी हासिल होगी. वाणिज्यिक वाहनों द्वारा लिए जाने वाले ई-वे बिल प्रणाली को अब फास्टैग और आरएफआईडी के साथ जोड़ दिया गया है. इससे वाणिज्यिक वाहनों पर सटीक नजर रखी जा सकेगी और जीएसटी चोरी का पता चल सकेगा. जीएसटी अधिकारियों के ई-वे बिल मोबाइल ऐप में यह नया फीचर जोड़ दिया गया है. इसके जरिए वह ई-वे बिल का वास्तविक ब्योरा जान सकेंगे. इससे उन्हें कर चोरी करने वालों को पकडऩे और ई-वे बिल प्रणाली का दुरुपयोग करने वालों को पकडऩे में मदद मिलेगी.

    जीएसटी के तहत 28 अप्रैल, 2018 से व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर्स के लिए पचास हजार रुपये से अधिक मूल्य के सामान की अंतरराज्यीय बिक्री और खरीद पर ई-वे बिल बनाना और दिखाना अनिवार्य है. ई-वे बिल प्रणाली में रोजाना औसतन 25 लाख मालवाहक वाहनों की आवाजाही देश के 800 से अधिक टोल नाकों से होती है.

    कैसे काम करेगा नया फीचर

    इस नई प्रक्रिया से अधिकारी उन वाहनों की रिपोर्ट देख सकेंगे, जिन्होंने पिछले कुछ मिनटों के दौरान बिना ई-वे बिल के टोल नाकों को पार किया है. साथ ही किसी राज्य के लिए आवश्यक वस्तु ले जा रहे वाहनों के टोल को पार करने की रिपोर्ट को भी देखा जा सकेगा. कर अधिकारी वाहनों के संचालन की समीक्षा करते समय इन रिपोर्टों का उपयोग कर सकेंगे. एमआरजी एसोसिएट्स के वरिष्ठ पार्टनर रजत मोहन ने कहा, वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही और वस्तुओं पर नजर रखने के लिए वाहनों की सटीक जानकारी, कर चोरी रोकने में मदद करेगी.

    जारी हुए 180 करोड़ ई-वे बिल लेकिन केवल 7 करोड़ की ही पुष्टि

    पिछले महीने सरकार ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि मार्च 2021 तक यानी पिछले तीन साल के दौरान देश में कुल 180 करोड़ ई-वे बिल जारी किए गए. जिसमे से कर अधिकारियों द्वारा केवल सात करोड़ ई-वे बिल की ही पुष्टि की जा सकी. सरकार के आंकड़ों के अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, तमिलनाडु और कर्नाटक में अंतर-राज्यीय आवाजाही के लिए सबसे अधिक ई-वे बिल सृजित किए जाते हैं.

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