त्रिकोणीय मुकाबले की पेंच में फंसी साहेबपुर कमाल विधानसभा की सीट
अमित कुमार
जातीय समीकरण से उम्मीदवार जीत की कर रहे हैं उम्मीद पचपौनियां वोट होगे निर्णायक
साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र का चुनाव बेगूसराय जिले में हॉटस्पॉट बना हुआ है. इस क्षेत्र से दो निर्दलीय सहित 10 उम्मीदवारों द्वारा अपनी दावेदारी पेश की गई है. जिनमें राजद के सत्तानंद संबुद्ध, एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार शशीकांत कुमार शशि उर्फ अमर कुमार सिंह एवं लोक जनशक्ति पार्टी के सुरेंद्र कुमार उर्फ सुरेंद्र विवेक के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस बार के चुनाव में स्थानीय मुद्दे तो गौण दिख रहे हैं. लेकिन जातीय समीकरण हावी होते दिख रहा है.

एक ओर जहां राजद उम्मीदवार को अपने पिता से राजनीति विरासत में मिली है. उनके पिता श्रीनारायण यादव इस क्षेत्र से कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वे कई बार बिहार सरकार में मंत्री पद पर भी रह चुके हैं. राजनीति के अंतिम पड़ाव में उन्होंने इस क्षेत्र से अपने पुत्र को उम्मीदवार बनवाया है. वहीं जदयू के शशीकांत कुमार शशि उर्फ अमर कुमार सिंह इससे पहले भी इस

विधानसभा से वर्ष 2014 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. जिस चुनाव में राजद से उन्हें शिकस्त मिली थी. इस बार जदयू ने उन्हें भाजपा का दामन छुड़ाकर अपने दल से इस क्षेत्र का उम्मीदवार बनाया है. जबकि लोजपा के सुरेंद्र कुमार उर्फ सुरेंद्र विवेक वर्ष 2015 के आम चुनाव में निर्दलीय से चुनाव लड़ चुके हैं. जिस चुनाव में उन्हें 12 हजार से अधिक मत प्राप्त हुए थे. यह मत उन्हें अपने सामाजिक प्रभाव से मिला था. इस बार लोजपा ने उन पर भरोसा जताते हुये इस क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है. वही ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी ने इस विधानसभा से गोरेलाल राय को उम्मीदवार बनाया है. जिनका प्रभाव यादव वोटरों पर काफी अधिक है. वहीं मुस्लिम मतदाताओं का भी उसके प्रति झुकाव दिखते नजर आ रहे हैं. फलस्वरूप साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र का चुनाव दिलचस्प साबित हो चुका है. फलत: इस बार के चुनाव में स्थानीय मुद्दे तो गौण साबित हो रहे हैं. लेकिन जातीय समीकरण हावी होते दिख रहे हैं. लगभग तीनों उम्मीदवार जातीय आधार को समीकरण बनाकर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. इस चुनाव में पचपौनियां वोट की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. यह वोट जिस ओर अपना रुख करेगी जीत उसी की हो होगी. फलस्वरूप ऐसे वोटरों को मनाने-रिझाने में सभी प्रत्याशी अपना-अपना पसीना बहा रहे हैं. दूसरी ओर इस बार के चुनाव में मतदाताओं के अलग रुख दिख रहे हैं. मतदाता इस बार भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के खिलाफ मत डालने का मूड बना चुके हैं. मतदाता पिछले तीस सालों तक राज करने वाले राजनेताओं का आकलन करने में भी जुट चुके हैं. पिछले 30 सालों में विकास के नाम पर मतदाता ठगा सा महसूस कर रहे हैं. फलस्वरुप इस बार का चुनाव अन्य चुनाव से अलग होगा. रविवार को चुनाव प्रचार भी खत्म हो चुका है. आगामी 3 नवंबर को क्षेत्र के मतदाता अपना फैसला सुनाएंगे. अब देखना है कि इस क्षेत्र के मतदाता किस प्रत्याशी को विजय का सिरमौर बनाते हैं. जिसका खुलासा आगामी 10 नवम्बर को मतगणना के बाद होगा.