मास्को. रूस ने अपरोक्ष रूप से चीन को चेताया है कि उसके क्षेत्र में किसी भी मिसाइल हमले को वह परमाणु हमले की तरह ही लेगा और इसका जवाब परमाणु हथियारों से देगा. रसिया की इस चेतावनी को पहले यूएसए को दिया माना जा रहा था, लेकिन विशेषज्ञ इसे अमेरिका की बजाय चीन को चेतावनी देना मान रहे हैं, क्योंकि चीन की विस्तारवादी नीतियां हमेशा ही उसके पड़ोसियों से पंगा लेने की रही है.
रूस और चाइना पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रतिक्रिया चीन द्वारा रूस के प्रभाव को क्षीण किए जाने का परिणाम है. बीजिंग की राजनीतिक और आर्थिक उन्नति ने रूस को कई लेवल पर चिढ़ाया है. हाल के भूराजनैतिक घटनाक्रमों ने इसी ओर इशारा किया है. इसके अलावा ने चीन ने आर्कटिक और मध्य एशिया में रूस के प्रभाव को नजरअंदाज किया है और रूस के फार ईस्ट क्षेत्र में मजबूती से दावा किया है. रूस ने चीन पर इसके डिफेंस डिजाइन को कॉपी करने का भी आरोप लगाया है.
रूस और चीन किसी गठजोड़ से बेहद दूर हैं. दोनों देश अमेरिका के खिलाफ कभी-कभी साथ आ जाते हैं. मॉस्को ने हाल ही में बीजिंग को एस-400 सरफेस टु एयर मिसाइल सिस्टम की डिलिवरी को टाल दिया. यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय पर उठाया गया, जब चीन साउथ चाइना सी पर दावे सहित कई मुद्दों पर घिरा हुआ है.
रूस और चीन रिश्तों में 2014 के बाद सुधार हुआ था, जब पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से रूस नए व्यापार और निवेश सहयोगियों की तलाश में पूर्व की ओर देखने को मजबूर हुआ. लेकिन एक बार फिर बीजिंग और मॉस्को के बीच दरार दिखने लगे हैं. हाल ही में रूस ने अपने एक आर्कटिक रिसर्च पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने संवेदनशील जानकारियां चीन को दे दी. चीन ने इस घटनाक्रम को यह कहकर हल्का करने की कोशिश की की मॉस्को पर यह कदम उठाने के लिए दबाव डाला गया है. रूस-चीन संबंधों के जानकार मानते हैं कि आर्कटिक शोधकर्ता पर जासूसी का आरोप क्षेत्र के दोनों देशों के बीच बढ़ते अविश्वास को दिखाता है.
क्या कहा है रूस ने?
रूस की सेना ने शुक्रवार को प्रकाशित एक लेख में चेतावनी दी कि उसका देश अपने क्षेत्र में आने वाले किसी भी बैलेस्टिक मिसाइल को परमाणु हमले के तौर पर देखेगा जिसका परमाणु हथियार से जवाब दिए जाने की जरूरत है. यह लेख जून में रूस की परमाणु प्रतिरोध नीति के प्रकाशन के बाद आया है जिसमें राष्ट्र के महत्वपूर्ण सरकारी और सैन्य ढांचों पर पारंपरिक हमले के जवाब में परमाणु हथियारों के उपयोग की बात कही गई है.
क्रसनाया ज्वेज्डा में प्रकाशित लेख में रूसी सेना के जनरल स्टाफ के वरिष्ठ अधिकारी,मेजर जनरल एंड्रेई स्टर्लिन और कर्नल एलेक्जेंडर क्रयापिन ने कहा कि यह तय करने का कोई तरीका नहीं है कि आने वाला बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र परमाणु आयुध वाला है या परंपरागत आयुध वाला, इसलिये सेना इसे परमाणु हमले के तौर पर देखेगी.