विपक्ष के निशाने पर योगी फ्रस्ट्रेशन का शिकार हो गई यूपी पुलिस?
सुखबीर बब्बू
यूपी पुलिस विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से ही राजनेताओं ,पत्रकारों के साथ टीवी की सुर्खियों में है एक तरफ पुलिसिया कार्यवाही की तारीफ हो रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष के निशाने पर योगी सरकार और यूपी पुलिस है दरअसल कानपुर में विकास दुबे के एनकाउंटर पर पुलिस की बताई गई कहानी में बड़े झोल नजर आ रहे हैं. विकास दुबे जिस पर सवार था, वह पलट गई थी लेकिन गाड़ी की हैडलाइट समेत पूरी बॉडी में कहीं खरोंच तक नहीं थी
सवाल उठता है कि पुलिस ने किस शक्ति के तहत कार्रवाई की है ? 8 पुलिसकर्मियों की हत्या से फ्रस्ट्रेशन हो रही पुलिस ने लीगल एक्शन के साथ विवादित कार्यवाही भी की है पुलिस हत्याकांड के बाद से ही शुरू की गई कार्रवाई का अंत नाटकीय अंदाज में विकास दुबे के एनकाउंटर से खत्म तो हुआ परंतु पुलिसिया कार्रवाई में पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया उनके साथियों पर किए गए कार्रवाई का समर्थन है परंतु आरोपियों के परिवार के साथ जो सलूक पुलिस कर रही है इसकी आलोचना भी हो रही है योगी आदित्यनाथ के ठाकुरवाद नाम यूपी के ब्राह्मणवाद से जोड़ा जाने लगा है
आज के राजनेता के जनता को कठपुतली की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं जातिवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है जातीय एंगल से एक्शन पर सभी के सवाल है खासकर विपक्ष के तमाम पार्टियों के नेताओं के जिसमें यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी शामिल है जिन जिन कार्रवाई में सवाल उठ रहे हैं उनमें से विकास दुबे का घर तोड़ने का मामला का भी है क्या पुलिस को किसी की निजी संपत्ति को नुकसान करने की इजाजत है? क्या पुलिस को विकास दुबे की पत्नी और बेटे को प्रताड़ितध करने का कोई भी सख्त कार्रवाई करने का कानूनी हक था? पुलिस टीम का कहना है कि विकास दुबे के घर में हथियारों का जाखिरा होने का शक था यह कहना था कानपुर पुलिस महा निरीक्षक मोहित अग्रवाल का ।परंतु सवाल यह उठ रहा है कि विकास के घर में हथियारों का जाखिरा मौजूद था, तो स्थानीय इंटेलिजेंस को इतने बड़े जर्मिनेशन स्टॉक की भनक तक क्यों नहीं लगी जब पुलिस पर गोली चल गई? अगर शहर के बीच कोई इतना असला लेकर बैठा था ,कि उसके घर की दीवार तोड़कर इसे निकाला जाए इस बात की पुष्टि पुलिस ने पहले क्यों नहीं की ? विकास दुबे की कीमती गाड़ियों को तहस-नहस करने का वीडियो पहले ही टीवी में दिखाया जा चुका था,
राष्ट्र संवाद का बड़ा सवाल कृष्णानंद राय हत्याकांड: फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की योगी सरकार?
भाग 2
पुलिस का हत्यारा विकास दुबे के एनकाउंटर का उच्च-स्तरीय जाँच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए आठ पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इन्साफ मिल सके. साथ ही, पुलिस, अपराधी और राजनीतिक गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके
विकास दुबे के एनकाउंटर पर पुलिस की बताई गई कहानी में बड़े झोल नजर आ रहे हैं. विकास दुबे जिस पर सवार था, वह पलट गई थी लेकिन गाड़ी की हैडलाइट समेत पूरी बॉडी में कहीं खरोंच तक नहीं थी
तो कानपुर के आईजी श्री अग्रवाल ने या बयान क्यों दिया कि विकास दुबे की गाड़ियां दीवार गिरने से क्षतिग्रस्त हुई! अमर दुबे का एनकाउंटर और उसकी पत्नी का हिरासत में लिया जाना भी पुलिस के एक्शन पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है? 29 जून को हुई थी शादी और वह घटना के दिन कानपुर में नहीं था ,अमर दुबे को मार गिराया और 10 रोज पहले ब्याह करके लाई उसकी पत्नी को हिरासत में ले गई पुलिस क्या यह कार्रवाई करनी सही थी? एक और कार्रवाई लखनऊ की है जिसे लेकर योगी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं यह सवाल विकास दुबे की पत्नी और उसके बेटे की है। क्या उसके नाबालिग बेटे को और उसकी पत्नी को घुटनों पर बैठाकर बीच सड़क में फोटो खिंचना जायज था? ऐसा करके पुलिस ने अपना कौन सा आक्रोश को व्यक्त किया !इसके अलावा विकास के बुजुर्ग पिताजी को बाहर निकाल कर घर गिरवा देना ,साथ अमर की पत्नी की गिरफ्तारी समेत तमाम मुद्दे योगी सरकार को घेर रहे हैं। विकास दुबे पर होने वाले सारे एक्शन अदालती हो सकते हैं, कहा जा रहा है कि विकास को जिस वाहन से लाया जा रहा था वह पंचर हो गया,विकास बंदूक छीनाऔर भागा फिर एनकाउंटर कर दिया, यह कहानी तो सुनने में कुछ हद तक सही लग रही है पर प्रैक्टिकल तरीके से मीडिया में इतनी न्यूज़ आज आने के बाद सब हो पाना संभव नहीं है ।दूबे के पूरे कांड की कहानी योगी आदित्यनाथ की छवि से टकरा रही है ,जिसमें उन्हें ब्रह्म विरोधी कहा जा रहा है ।
विकास दुबे के अपराध को सजा मिलना जरूरी है और मिलना भी चाहिए। लेकिन एक पुलिस टीम को बिना तैयारी गांव में भेजने वाली सरकार जिस तरह विकास दुबे के कथित साथियों के नाम पर बच्चों और परिवार के साथ सलूक कर रही है उससे यह बहस अब पुलिस के शोषण और ब्रह्म वाद के विरोध जुड़ने लगी है विकास के साथ जो हुआ वह कोर्ट तय करेगा लेकिन यूपी में योगी के ऊपर एक बार फिर बड़ा आरोप लगने लगा है।