चारों की फाँसी से निर्भया की आत्मा का मिलन परमात्मा से पर सरकार से एक गुज़ारिश कि नाबालिग मानकर बरी होनेवाले को भी सज़ा दी जाय।
आज निर्भया के बलात्कारियों को उनके बुरे हस्र का इस अंजाम तक पहुँचाने के आज लिए उनकी माता आशा सिंह,वकील सीमा कुशवाहा जी और उनकी टीम के साथ साथ जनता और मीडिया को बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ जिनकी बदौलत महिलाओं की अस्मतों की सुरक्षा कुछ हद तक सशक्त हुई है। ये सिर्फ निर्भया को मिली न्याय ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के नारियों की जीत है।
बलात्कार अपनेआप में महिलाओं के खिलाफ होने वाला अत्याचार है जो न सिर्फ शारीरिक अखण्डता को नष्ट करता है बल्कि जीवन के हर भूमिका को सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से भी क्षतिग्रस्त करता है और इसमें निर्भया के साथ हुआ विसाक्त जघन्य अपराध के ख़िलाफ़ फाँसी का होना
समस्त जीवजगत की ओर से आज निर्भया की आत्मा को असल में श्रद्दांजलि दी गयी है।
ये शेर अंत में…..
आस आशा की पूरी हुई आज है,
बाद मुद्दत के भी कुछ सुकूँ तो मिला।
सोनी सुगन्धा