कहाँ गए वामपंथ का
झंडा लाल लहराने वाले ।
गंगा-जमुनी तहजीब बताकर ,
साजिशी शतरंज सजाने वाले।
सेक्युलरिज्म का ढोंग ओढकर,
राजनीति का स्वांग रचाते ।
आतंकी को भाई बता कर ,
अपनी पीठ थपथपाने वाले ।
नहीं असर होता उन पर जब,
होती है हिंदुत्व की हत्या ।
नकेल कसे जब आतंकवाद पर ,
संसद में शोर मचाने वाले।
हैं ये आतंकी देश पर धब्बा
कालिख हैं ये मानवता पर,
जिस माटी से तिलक था करना
उसकी गरिमा धुंधलाने वाले।
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डॉ कल्याणी कबीर