कश्मीर का पुंछ इलाका हमेशा गोलियों की तड़तड़ाहट और आतंकियों से मुठभेड़ के कारण चर्चा में रहता है. यह इलाका एक बार फिर चर्चा में है. चर्चा का कारण इस बार कोई घटना, बल्कि एक ऐतिहासिक घटना के कारण है. पुंछ से कश्मीर की पहली महिला आईएएस अफसर रेहाना बशीर बनी हैं. रेहाना ने मेडिकल पीजी की सीट छोड़कर आईएएस बनने का फैसला किया और वो अपने प्रयास में सफल भी रहीं. रेहाना कश्मीर की लड़कियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं.
मुश्किलों से गुजरकर पहुंची सफलता तक
रेहाना का ये सफर आसान नहीं रहा. कश्मीर जैसे इलाके में जहां कुछ अलगाववादी संगठन रोक लगाते हैं, वहीं आंतक के बीच उच्च शिक्षा ग्रहण करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. लेकिन रिहाना ने इन सब बाधाओं को पार कर अपना ध्यान लक्षय की ओर लगाए रखा. रेहाना यूपीएससी की तैयारियां कर ही रहीं थी, कि इसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई.
पिता की मौत के बाद उनकी मां के साथ दुर्घटना हो गई और उन्हें बिस्तर पर रहना पड़ा. वहीं घाटी में आए दिन इंटरनेट बंद हो जाने के कारण स्टडी मटीरियल की समस्या भी होती. रेहाना के मुताबिक जब भी एग्जाम का नोटिफिकेशन आता था तो मैं तुरंत फॉर्म भर देती थी. इसके अलावा इंटरनेट न होने पर मैं किताबों का इस्तेमाल किया करती थी. ऐसे में आपको लाइफ में हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा.
नहीं मानी हार
रेहाना के पास सुविधाएं बेहद कमी थीं, लेकिन उन्होंने अपने लक्षय के आगे इन्हें नहीं आने दिया. स्कूल से लेकर कॉलेज तक हालात घाटी में बेहद खराब स्थिति में है और कोचिंग तो बमुश्किल मिलत है, फिर भी रेहाना ने किताबों और इंटरनेट की मदद से अपनी पढ़ाई जारी रखी और सफलता पा ही ली. रेहाना ने कहा कि घाटी के स्कूलों को बेहतर बुनियादी ढांचे की जरूरत है. रेहाना ने यूपीएसई की परीक्षा दूसरी बार दी है. यूपीएसई परीक्षा के लिए उन्होंने पहला प्रयास साल 2017 में किया था.
रेहाना जब डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहीं थीं, तो उन्होंने महसूस किया कि वह सरकार का हिस्सा बनकर लोगों की ज्यादा सेवा कर सकती हैं. तभी उनके दिमाग में आईएएस बनने का आइडिया आया और वह अपने सपने के पीछे लग गईं. रेहाना का कहना है कि वह समाज में बदलाव लाना चाहती है,रेहाना बशीर के अलावा जम्मू और कश्मीर के 6 उम्मीदवारों ने भी यूपीएसई की सिविल सेवा परीक्षा 2018 में सफलता हासिल की है