बीजेपी के सामने रहेगी चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती
देवानंद सिंह
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 27 साल बाद एक बड़ी जीत हासिल की है, जिससे राज्य में बीजेपी के लिए एक नई राजनीतिक दिशा का आरंभ हुआ है। पार्टी ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को केवल 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इस विजय के साथ बीजेपी के लिए नए मुख्यमंत्री का चेहरा चुनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन इसके साथ ही उन्हें चुनावी वादों को पूरा करने की बड़ी चुनौती भी कम होने वाली नहीं है। बीजेपी के पास अब दिल्ली की जनता से किए गए वादों को वास्तविकता में बदलने का समय है, जो वित्तीय दृष्टिकोण से अत्यधिक दबाव वाला होगा।
दरअसल, दिल्ली का कुल बजट 76,000 करोड़ रुपए है, जिसमें प्रमुख खर्च शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, जल आपूर्ति, और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर केंद्रित है, हालांकि इन योजनाओं को लागू करने के लिए भारी वित्तीय निवेश की आवश्यकता होगी और बीजेपी को इन खर्चों को पूरा करने के लिए नए वित्तीय स्रोतों की तलाश करनी होगी।
बीजेपी ने दिल्ली की महिलाओं के लिए 2,500 रुपए मासिक आर्थिक सहायता देने का वादा किया है। इस योजना के तहत अनुमानित 11,000 करोड़ रुपए का खर्च होगा, क्योंकि दिल्ली में करीब 38 लाख महिलाएं इस योजना के पात्र हो सकती हैं। इसके अलावा, बुजुर्गों के लिए पेंशन योजना की भी घोषणा की गई है, जिसमें 60 साल से ऊपर के नागरिकों को 2,500-3,000 रुपए प्रति माह पेंशन देने का वादा किया गया है। इस पर भी करीब 4,100 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है।
इसके साथ ही, बीजेपी ने मुफ्त बिजली, पानी और गैस सिलेंडर की योजनाओं को जारी रखने का वादा किया है, जो दिल्ली सरकार के बजट पर भारी बोझ डाल सकते हैं। आम आदमी पार्टी ने अपने कार्यकाल में मुफ्त बिजली योजना के दायरे को घटाया था, जिससे बीजेपी के लिए यह एक अतिरिक्त चुनौती बन सकती है। बीजेपी ने अपनी चुनावी घोषणा में केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया है। इसके अलावा, पार्टी ने 2026 तक तीन नए कॉलेजों की स्थापना और प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले छात्रों को 15,000 रुपए की आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है। साथ ही, अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों को 1,000 रुपए प्रति माह की आर्थिक सहायता देने का वादा किया गया है।
ये वादे निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि दिल्ली में पहले ही शिक्षा पर भारी खर्च किया जा चुका है और शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखना भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। आम आदमी पार्टी ने अपने शासनकाल में निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित किया था और सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के स्तर तक सुधारने की कोशिश की थी। ऐसे में, बीजेपी के लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस क्षेत्र में कितनी तेजी से सुधार लाते हैं और अपनी योजनाओं को लागू करते हैं।
बीजेपी ने यमुना नदी को तीन वर्षों के भीतर साफ करने और नदी के किनारे एक रिवरफ्रंट बनाने का वादा किया है। इसके अलावा, लैंडफिल साइटों को साफ करने और दिल्ली की प्रदूषण समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की बात भी की है। दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों में यमुना सफाई पर 8,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद नदी की हालत में सुधार नहीं हुआ है।
आम आदमी पार्टी ने इस समस्या का समाधान नहीं किया था, लेकिन बीजेपी को अब यह चुनौती दी गई है कि वह कितनी जल्दी इस समस्या का हल निकाल पाती है। इसके लिए एक ठोस और व्यवस्थित योजना की आवश्यकता होगी, ताकि दिल्ली में प्रदूषण कम किया जा सके और नागरिकों को बेहतर जीवन का अनुभव हो सके। इसके अलावा बीजेपी ने दिल्ली में 13,000 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करने का वादा किया है, जिससे सार्वजनिक परिवहन को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सके। इसके अलावा, दिल्ली के आसपास 65,000 करोड़ रुपए के हाईवे बनाने की भी योजना है। मेट्रो विस्तार पर भी ध्यान दिया जाएगा, जिसके लिए 2,700 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी, हालांकि इन योजनाओं को लागू करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है, क्योंकि दिल्ली की यातायात व्यवस्था पहले से ही दबाव में है। जाम और लंबी दूरी की यात्रा के कारण नागरिकों को काफी समय और ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। ऐसे में, एक व्यापक और प्रभावी यातायात नेटवर्क तैयार करना बीजेपी के लिए एक कठिन कार्य होगा।
इतना ही नहीं, बीजेपी ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अपनी पसंदीदा योजना पीएम आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू करने का वादा किया है, जिसके तहत 5 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त दिया जाएगा। इसके साथ ही, गर्भवती महिलाओं को 21,000 रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी। दिल्ली के अस्पतालों को और भी बेहतर बनाने के लिए 10,200 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है, लेकिन इसे लागू करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है। दिल्ली में पहले से ही स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के लिए काम किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद अभी भी अस्पतालों में भीड़-भाड़ और संसाधनों की कमी जैसी समस्याएं हैं।
कुल मिलाकर, बीजेपी के सामने अब अपनी चुनावी वादों को पूरा करने के लिए कई बड़ी वित्तीय और प्रशासनिक चुनौतियां हैं। दिल्ली के पास राजस्व के बड़े स्रोत नहीं हैं, और ऐसे में वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन करना बीजेपी के लिए एक कठिन कार्य होगा। हालांकि, केंद्र और राज्य दोनों जगह एक ही सरकार होने के कारण कुछ वित्तीय मदद मिल सकती है, लेकिन चुनावी वादों को सही तरीके से लागू करने के लिए बीजेपी को नई नीतियां और योजनाएं बनानी होंगी। निश्चित रूप से दिल्ली की जनता ने बीजेपी से उम्मीदें जताई हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इन वादों को कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से पूरा कर पाती है।