कांग्रेस पार्टी के टेल्को कॉलोनी मण्डल अध्यक्ष देबाशीष घोष ने बजट 2025 को लेके अपनी प्रतिक्रिया दी है…..
अधूरे वादों और जमीनी हकीकत से परे…
सरकार ने पहले भी रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए फंड जारी करने की घोषणा की थी, लेकिन क्या वे सफल रहे? 15,000 करोड़ रुपये से कितनी परियोजनाओं को वास्तव में पूरा किया जाएगा?
बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना की बात कही गई, लेकिन पहले से मौजूद कृषि बोर्ड कितने प्रभावी हैं? क्या किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा?
पर्यटन और इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं पर कुछ नहीं
सरकार 50 पर्यटन स्थलों के विकास की बात कर रही है, लेकिन क्या पिछली योजनाओं का असर दिखा? धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर क्या सरकार केवल एक खास विचारधारा को थोप रही है?
ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की घोषणा हुई, लेकिन क्या पिछले वर्षों में घोषित हवाई अड्डे पूरी तरह काम कर रहे हैं?
महिला और दलित उद्यमियों के लिए ऋण पर सवाल…..
सरकार ने 5 लाख महिलाओं और SC/ST उद्यमियों के लिए 2 करोड़ रुपये के ऋण की बात की है। लेकिन क्या बैंकिंग सिस्टम इतना सक्षम है कि यह राशि उन तक पहुंच पाए? पहले भी ऐसे लोन स्कीम की घोषणा हुई थी, लेकिन जमीनी स्तर पर कितनी सफल रहीं?
एमएसएमई और विनिर्माण सेक्टर…
एमएसएमई सेक्टर के लिए नई योजनाओं का वादा किया गया है, लेकिन पिछले बजट में घोषित योजनाओं का क्या हुआ?
क्या GST और महंगी दरों की वजह से एमएसएमई पहले ही नहीं दब रहा? क्या यह सिर्फ खोखले वादे हैं?
आम जनता के लिए कुछ खास नहीं..
बजट में महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर कोई ठोस समाधान नहीं दिखता।
कृषि क्षेत्र और ग्रामीण विकास के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई। क्या यह बजट सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है?
कुल मिलाकर निष्कर्ष यें निकल कर आता है की इस बजट मे “खोखले वादों का दस्तावेज”, “फिर से जुमलों का पिटारा” और “बड़े उद्योगपतियों के लिए लाभकारी, हां नौकरी पेशा आम आम आदमी के लिए थोड़ी राहत जरूर दी गई है… लेकिन कुल मिलाकर यें बजट जनता के लिए निराशाजनक रहा!