श्रीमद्भागवत कथा के दुसरे दिन राजा परीक्षित के प्रसंग सुन भाव-विभोर हुए श्रद्धालू
फतेहपुर
फतेहपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत खामारवाद पंचायत के कालूपहाड़ी गाँव बजरंगवली मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस बुधवार को कथा में परिक्षित का उपदेश और विदुर प्रसंग, हिरण्यकश्यप वध, ध्रुव-चरित्र कथा वृतांत का विस्तार से वर्णन किया गया। वृंदावन धाम के कथा राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं कथावाचक गोपाल नंदन महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि आप सब पर ठाकुर जी की कृपा है। जिसकी वजह से आप आज कथा का आनंद ले रहे है। श्रीमद भगवत कथा का रसपान कर पा रहें हैं क्योंकि जिन्हें गोविन्द प्रदान करते है जितना प्रदान करते है उसे उतना ही मिलता है। कथा में यह भी बताया की अगर आप भागवत कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं, कुछ सीखना चाहते है तो कथा में प्यासे बन कर आए, कुछ सीखने के उद्देश्य से, कुछ पाने के उद्देश्य से आएं, तो ये भागवत कथा जरूर आपको कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ देगी। इसी दौरान परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वन में चले गए। उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से पानी मांगा। ऋषि समाधि में थे। इसलिए पानी नहीं पिला सके । परीक्षित ने सोचा कि साधु ने अपमान किया है। उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया । यह सूचना पास में खेल रहें बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने शाप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा । समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित है और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है । समीक ऋषि ने जब यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी तो वह अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे वहाँ बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव वहाँ पहुंचे शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया ।
मनुष्य का जीवन सांसारिक भोग में नही कृष्णभक्ति में बिताएं
मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है, लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है। उसका सारा ध्यान संसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है। मानव जीवन का उद्देश्य कृष्ण प्राप्ति शाश्वत है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोड़ना है और अगर हम ये दृढ़ निश्चय कर लेंगे कि हमें जीवन में कृष्ण को पाना ही है तो हमारे लिए इससे प्रभु से बढ़कर कोई और सुख, संपत्ति या सम्पदा नहीं है।
भागवत कथा श्रवण करने वालों का सदैव कल्याण करती है
भगवत कथा के समय स्वयं श्रीकृष्ण आपसे मिलने आए हैं। जो भी इस भागवत के तट पर आकर विराजमान हो जाता है, भागवत उसका सदैव कल्याण करती है। उन्होंने कहा कि बिना जाति और बिना मजहब देखे इनसे आप जो मांगे ये आपको वो मनवांछित फल देती है और अगर कोई कुछ न मांगे तो उसे मोक्ष परियन्त तक की यात्रा कराती है। कथा सुनकर श्रद्धालू मंत्रमुग्ध हो गए ।कथा के दौरान धार्मिक गीतों पर श्रद्धालू जम कर झूमें कथा में दूसरे दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरुष कथा सुनने पहुंचे ।