300 रुपए में मिल सकता है गैस सिलेंडर
वितरण कंपनियों को बायोमेट्रिक और बारकोड प्रणाली को तत्काल लागू करे!
■जमशेदपूर. भोजन बनाने के लिए उपयोग में आने वाली गैस का होटल व्यवसाय, ऑटोरिक्शा और एलपीजी गैस वाहनों के लिए डंके की चोट पर उपयोग होने से गैस सिलेंडर की कीमत 850 से 900 रुपए तक पहुंच गई है. गैस सिलेंडर का केवल घरेलू उपयोग होने पर 300 रुपए के लगभ गैस सिलेंडर मिल सकता है. इसके लिए सरकार को सिलेंडर वितरित करने वाली कंपनियों को बायोमेट्रिक और बारकोड प्रणाली कार्यान्वित करने का निर्देश देना होगा. ऐसा दावा ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन ने किया है. घरेलू गैस सिलेंडर सतर्कता जनजागृति अभियान के अंतर्गत गैस सिलेंडर वितरण के बारे में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन सोळंके के आदेशानुसार ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन GDKF के प्रियोजना एव कार्यक्रम प्रमुख श्री हंसराज रहांगडाले ने पत्रकार परिषद मे जानकारी दी। उनके साथ संस्था के सर्पक अधिकारी मोसाहिद आदिब, सत्यप्रकाश साहू उपस्थित थे। हंसराज रहांगडाले ने कहा कि देश में भोजन बनाने के लिए 75 प्रतिशत नागरिक घरेलू गैस और 20 प्रतिशत नागरिक चूल्हे का उपयोग करते हैं. केवल 5 प्रतिशत नागरिक बिजली पर चलने वाले इंडक्शन का उपयोग भोजन बनाने के लिए करते हैं.
05%
फीसदी लोग बिजली के इंडक्शन का कर रहे उपयोग
20%
प्रतिशत लोग चूल्हे पर बना रहे भोजन
75%
फीसदी नागरिक देश में भोजन बनाने के लिए कर रहे घरेलू गैस का प्रयोग
ग्राहक दक्षता कल्याण फाउंडेशन का दावा
जिला के 700 से 750 होटल है. इससे सरकार का 3 से 4 करोड़ रुपए का राजस्व डूब रहा है. देश में यह आंकड़ा करोड़ों में है. गैस वितरित करने वाली कंपनियां व्यवसायियों को आसानी से घरेलू गैस बेच रही हैं. सभी व्यक्ति के लिए एक साल में 12 सिलेंडर निश्चित किए हैं, लेकिन कई लोग 5 से 7 सिलेंडर का ही उपयोग करते हैं. शेष गैस सिलेंडर को वितरक बेच रहे हैं. सॉफ्टवेयर के माध्यम से सेटिंग करने से उसका मैसेज नहीं आता है.
घरेलू सिलेंडरों का अवैध इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा हैं। हंसराज रहांगडाले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि GDKF के सर्वे में ये चौंकाने वाली बात सामने आ रही है. विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा,
अ) 60 प्रतिशत घरेलू सिलेंडरों का उपयोग अवैध रूप से व्यावसायिक स्थानों पर किया जा रहा है और इसमें सीधे 14.2 किग्रा. सिलेंडर का उपयोग 35 प्रतिशत है जबकि 16 किग्रा. या फिर दूसरे कमर्शियल सिलेंडरों में क्रूड बिल का 25 फीसदी हिस्सा ट्रांसपोर्ट के जरिए खतरनाक तरीके से घुमाकर बाजार में उपलब्ध कराया जा रहा है।
ब) देश में एलपीजी वाहनों में घरेलू सिलेंडर का भी खतरनाक तरीके से उपयोग किया जा रहा है। ऑटो एलपीजी वाहन की दैनिक खपत की तुलना में 70 प्रतिशत वाहन चालक इलेक्ट्रिक मोटर पंप की मदद से घरेलू सिलेंडर में बेहद खतरनाक तरीके से एलपीजी भरते हैं। इससे बड़े हादसे भी हो चुके हैं। लेकिन, ऑटो एलपीजी पंपों से सिर्फ 30 फीसदी अधिकृत एलपीजी ही बेची जा रही है। वाहनों की कुल संख्या अनुमानित 2.38 मिलियन है और हर दिन नए एलपीजी वाहन बढ़ रहे हैं। क्योंकि एलपीजी एक सुरक्षित, गैर-प्रदूषणकारी ईंधन है जो पेट्रोल और डीजल से सस्ता है। आज ऑटो एलपीजी 52 रु से 55रु.रुपये प्रति लीटर बिकता है और इसका माइलेज भी अच्छा है।
क) तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आज यह टैंकरों से सीधे एलपीजी गैस ले रहा है और इसे 15% सिलेंडरों में भरा जा रहा है, यह बहुत खतरनाक है । पिछले 10 वर्षों में इसके कारण राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं। इसमें सरकार के साथ-साथ नागरिकों की भी निजी नुकसान हुआ हैं और लोगों की जान भी गई हैं। फिर भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है और केवल अस्थायी कार्रवाई की जा रही है। हर राज्य में राज्य स्तर और जिला स्तर पर एलपीजी से संबंधित शिकायतों और दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए सतर्कता समिति जैसी समितियां बनाई गई हैं और उन्हें भी नजरअंदाज किया जा रहा है।
ड) प्रधानमंत्री उज्वला योजना के तहत 2014 से अब तक लगभग 6.58 करोड़ लोगों को 100 रुपये के शुल्क के साथ एलपीजी सिलिंडर दिए गए हैं तथा एलपीजी सिलिंडर की खरेदी पर बडी मात्रा में छूट भी दि जा रही हैं । लेकिन, अक्सर उज्वला लाभार्थी को पूरे 12 सिलिंडर लेता दिखाई नही देता। डिस्ट्रीब्यूटर (डीलर, वितरक) इसका दुरुपयोग कर फायदा उठा रहे हैं। इसलिए इस योजना को झटका लगा है। जिला स्तर पर स्थानीय प्रशासन का ध्यान न होने की वजह सें सेल्स अधिकारियों की मिलीभगत से यह सारा अवैध एलपीजी डायवर्जन का काम चल रहा है।
Domestic gas cylinder 89% commercial cylinder 9.10% Industrial 1.4% or Auto LPG 0.4% है. उपरोक्त सभी आंकड़े 2023 तक के हैं और चौंकाने वाली बात यह है कि ऑटो एलपीजी की खपत दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। लेकिन, ऑटो विकी बढ़ रहा हैं। साथ ही ऑटो एलपीजी पंप भी कम होते जा रहे हैं। 2021 में यह संख्या 601 थी और 2022 में यह संख्या गीर कर 516 हो गई हैं। इसका कारण घरेलू गैस सिलेंडर की बढ़ती खपत हैं। 2022 में एलपीजी वाहनों में घरेलू गैस सिलेंडरों का अवैध रूप से व्यापक रूप से उपयोग किया गया। तेल कंपनियां इसे नजरअंदाज कर रही हैं। साथ ही ऊपर दिए गए कमर्शियल गैस सिलेंडर की खपत को देखते हुए इसकी मात्रा भी कम हो रही हैं। इसका कारण यह हैं कि कमर्शियल सिलेंडर महंगे होते जा रहे हैं और कमर्शियल लोग घरेलू गैस सिलेंडर का चोरी-छिपे इस्तेमाल करते हैं। प्रशासन द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।एक चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि पिछले 5 साल में एलपीजी सिलेंडर से हादसों की 5131 घटनाएं हुई हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री राजेश्वर तेली ने असम में मंगलदोई लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद दिलीप सैकिया द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में लोकसभा में कहा था कि एलपीजी से जुड़ी सभी दुर्घटनाओं की जांच सार्वजनिक क्षेत्र की विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा की जाती है।
पिछले 5 वर्षों में दुर्घटनाओं के आंकड़े लगभग 5131 हैं, जिनमें सबसे अधिक दुर्घटनाएँ 2016-2018 में हुई हैं। उपरोक्त सभी आंकड़ों को ध्यान में रखें तो हर साल औसतन 1000 हजार दुर्घटनाएं होती हैं। ये सभी आंकड़े चौंकाने वाले हैं । इंसान की जान खतरे में है। अवैध एलपीजी सिलेंडर के इस्तेमाल से कई मौतें होती हैं। सरकारी राजस्व को भी करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। जो परिवार ऐसी दुर्घटनाओं से पीडित हैं, उनके मामले सरकार या बीमा कंपनियों से मुआवज़ा देकर रफादफा कर दिए जाते हैा। इन सभी समस्याओं के लिए अवैध एलपीजी की बिक्री ही जिम्मेदार हैं। क्योंकि दुर्घटना में मरने वाला परिवार का सदस्य हमेंशा के लिए उनसे दूर हो जाता हैं!
*आइए यह भी समझें कि जीएसटी से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का कैसे नुकसान हो रहा है।
14.2 किलो के घरेलू गैस सिलेंडर पर सरकार सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी लगाती है, जबकि 16 किलो और 5 किलो के कमर्शियल गैस सिलेंडर पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। साथ ही, ऑटो एलपीजी यानी वाहनों में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी पर भी 18% जीएसटी लगता है। इसलिए सरकार को घरेलू एलपीजी सिलेंडर की बिक्री से हर साल करोड़ों रुपये का जीएसटी मिलता है।