मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने CM पद से दिया इस्तीफा, हेमंत ने नई सरकार बनाने का पेश किया दावा
गठबंधन के विधायकों की सहमति के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में वापसी कर सकते हैं हेमंत सोरेन
रांची झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन राज्य में पार्टी-नीत गठबंधन के विधायकों के बीच सर्वसम्मति के बाद तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में वापसी कर सकते हैं। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि गठबंधन के नेताओं और विधायकों ने यहां मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के आवास पर एक बैठक के दौरान सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को झामुमो विधायक दल का नेता चुनने का फैसला किया।
पार्टी के एक सूत्र ने कहा, ‘‘बैठक में चंपई सोरेन की जगह हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया।”
मुख्यमंत्री के रूप में एक बार फिर शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री होंगे।
झारखंड 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर एक पृथक राज्य बना था।
बैठक में कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के अलावा हेमंत सोरेन के भाई बसंत और पत्नी कल्पना भी मौजूद थीं।
उच्च न्यायालय द्वारा कथित भूमि घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में जमानत दिए जाने के बाद हेमंत सोरेन को गिरफ्तारी के लगभग पांच महीने बाद 28 जून को जेल से रिहा कर दिया गया था।
उन्होंने 31 जनवरी को अपनी गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
इस बीच, भाजपा सांसद निशकांत दुबे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “झारखंड में चंपई सोरेन युग खत्म हो गया है। परिवारवादी पार्टी में, परिवार के बाहर के लोगों का कोई राजनीतिक भविष्य नहीं है। मैं चाहता हूं कि मुख्यमंत्री भगवान बिरसा मुंडा से प्रेरणा लें और भ्रष्ट हेमंत सोरेन जी के खिलाफ खड़े हो जाएं।”
सूत्रों ने कहा कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद दो फरवरी को झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले चंपई सोरेन ने पद से इस्तीफा दे दिया।
झारखंड मंत्रिपरिषद में वर्तमान में 12 के मुकाबले 10 मंत्री हैं।
मंत्रिपरिषद में दो फरवरी को चंपई सोरेन समेत तीन मंत्री शामिल हुए थे। इसके बाद 16 फरवरी को आठ विधायकों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था। इन 11 मंत्रियों में से ग्रामीण विकास और संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद 11 जून को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
लोकसभा चुनाव के बाद, राज्य में झामुमो-नीत गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 45 रह गई है जिनमें झामुमो के 27, राजद का एक और कांग्रेस के 17 विधायक शामिल हैं।
झामुमो के दो विधायक-नलिन सोरेन और जोबा माझी अब सांसद हैं, जबकि जामा से विधायक सीता सोरेन ने भाजपा के टिकट पर आम चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था। झामुमो ने बिशुनपुर से विधायक चमरा लिंडा और बोरियो से विधायक लोबिन हेम्ब्रम को पार्टी से निष्कासित कर दिया था, लेकिन उन्होंने अभी तक विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है।
इसी तरह, विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या घटकर 24 रह गई है, क्योंकि उसके दो विधायक- ढुलू महतो (बाघमारा) और मनीष जायसवाल (हजारीबाग) ने लोकसभा चुनाव लड़ा था और वे अब सांसद हैं। भाजपा ने चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस में शामिल होने वाले मांडू सीट से विधायक जयप्रकाश भाई पटेल को निष्कासित कर दिया है। हालांकि, पटेल ने अभी तक विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है।
झारखंड की 81-सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 76 सदस्य हैं।