दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता
देवानंद सिंह
चुनावों के बीच दो बड़ी घटनाओं ने हर किसी को हैरान-परेशान कर दिया। एक घटना गुजरात के राजकोट में हुई, जहां एक एम्यूजमेंट पार्क के अंदर गेमिंग जोन में भीषण आग लग गई, जिसमें 33 लोगों की जलकर मौत हो गई, वहीं इसी तरह की दूसरी घटना राजधानी दिल्ली में घटी, जहां यहां के विवेक विहार स्थित एक चाइल्ड हॉस्पिटल में गत शनिवार देर रात आग लग गई। हादसे में 6 नवजात की मौत हो गई।
दोनों ही घटनाओं में हताहत होने वालों में ज्यादातर छोटे बच्चे थे, ये दोनों ही घटनाएं झकझोरने वाली थीं, क्योंकि जिस तरह के हालात में ये घटनाएं हुईं वे बताती हैं कि मानवीय जिम्मेदारी वाले पहलू को बिल्कुल भी अनदेखा नहीं किया जा सकता, इसीलिए यह स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती, हालांकि इन हालातों को रातोंरात बदला नहीं जा सकता है, क्योंकि न तो घने बसे इलाकों में पहले से बनी इमारतों की संरचना को बदला जा सकता है और न ही यहां चल रही व्यावसायिक
गतिविधियों को पूरी तरह बैन किया जा सकता है, क्योंकि सच यह है कि इनसे हजारों लोगों की आजीविका भी जुड़ी हुई होती है, इन सबका ध्यान रखते हुए इस दिशा में सकारात्मक कदम तत्काल उठाने की जरूरत है। अगर, इसी तरह के हालात बने रहेंगे तो आने वाले दिनों में हालात और भी गंभीर हो सकते हैं। नियमों को लागू करने में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए।
इसीलिए, दोनों ही मामलों में केवल तत्काल जांच कराने के आदेश देने भर से काम नहीं चलेगा, बल्कि सख्त कार्रवाई भी करनी होगी। दरअसल, सामान्य रूप से ऐसे आदेश घटना से उपजे असुविधाजनक सवालों की ओर से लोगों का ध्यान हटाने भर के लिए ज्यादा किए जाते हैं। जांच पूरी होने तक मामला ठंडा पड़ जाता है और फिर इस बात की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता कि रिपोर्ट का क्या हल निकला।
इन दोनों मामलों में शुरुआती सूचनाएं ही संदेह का पुख्ता आधार प्रदान कर रही हैं, जो बात सामने आ रही है, उसमें यह बताया गया कि राजकोट के प्राइवेट एम्यूजमेंट पार्क में चल रहे गेमिंग जोन को फायर एनओसी नहीं मिला था। इसके बावजूद यह गेमिंग जोन धड़ल्ले से चल रहा था, बड़ी संख्या में बच्चे यहां महंगे टिकर लेकर आ रहे थे और अगर, आग लगने की यह घटना न होती तो पता नहीं कब तक सब कुछ ऐसे ही चलता रहता। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्थानीय प्रशासन को इस बात का अंदाजा नहीं होना चाहिए कि उसके कार्यक्षेत्र में किस तरह के व्यवसाय कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी करते हुए चलाए जा रहे हैं?
दिल्ली वाली घटना में आग लगने की वजहें भी साफ हो चुकी हैं, फिलहाल, स्वाभाविक ही प्रशासन की प्राथमिकता घायलों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने पर है, लेकिन राजधानी में प्राइवेट संस्थानों में आग लगने और बेकसूर लोगों के मारे जाने की घटनाएं कोई नई या चौंकाने वाली बात नहीं है।
कभी कोई फैक्ट्री इस वजह से सुर्खियों में आती है तो कभी कोचिंग संस्थान। घटना के बाद पता चलता है कि वे संस्थान तमाम कानूनी प्रक्रियाओं को ताक पर रखते हुए चलाए जा रहे थे, वाकई यह चिंताजनक है कि लापरवाहियों पर घटनाओं के बाद ही ध्यान जाता है, अगर इस तरह की गंभीरता हमेशा दिखाई जाती रहे तो ऐसे हादसे रोके जा सकते हैं।