आजादी के बाद भी मूल भूत सुविधा से वंचित है लोहरदगा का चारागादी गांव.
लोहरदगा – अलग झारखंड राज्य बने 23 साल हो गए। झारखंड की मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार अपने 4 साल पूरे कर लेने का जश्न मना रही है।
मगर लोहरदगा जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां आज भी सड़क और पुल सहित मूलभूत सुविधाओं का ग्रामीणों को इंतजार है।
लोहरदगा और लातेहार जिले की सीमा पर स्थित सलगी पंचायत का चारागादी नाम के इस गांव के ग्रामीणों की त्रासदी यह है कि गांव के बाहर जाना हो तो तीन नदियां पार करनी पड़ती हैं और किसी में भी पुल नहीं है। सड़क की जगह पगडंडी ही है।
आंगनबाड़ी केंद्र और पोलिंग बूथ 20 किलोमीटर दूर पंचायत मुख्यालय मे है।
करीब 28 घरों का यह गांव जंगल पहाड़ों से घिरा है। गांव के लोग रहते तो है लोहरदगा जिला में लेकिन निर्भर है लातेहार जिला पर। बरसात के महीने में जब पहाड़ी नदी में उफान होता है उस समय यह गांव टापू बन जाता है गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते महिलाएं बच्चो को गोद में उठाकर अस्पताल पहुंचते है। बुनियादी सुविधाओं को तरसते ग्रामीण सरकार से खासे नाराज हैं। नाराज इतने कि इन्होंने फैसला किया है कि इस बार चुनाव में किसी नेता और अधिकारी को गांव में घुसने नहीं देंगे और न ही वोट डालने 20 किलोमीटर दूर जाएंगे। वोट का बहिष्कार करेंगे। क्योंकि इन्हें बार-बार छला गया है सबने झूठे आश्वासन दिए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि
सालों साल से हम लोग सड़क, पुलिया और मूलभूत सुविधाओं और आंगनबाड़ी की मांग कर रहे है. यहां का बूथ उठाकर ले गया है 20 किलोमीटर सलगी में। पुल बन गया रोड बन गया तो वोट देंगे और नहीं तो कोई नेता या अधिकारी आएगा वोट के नाम पर तो गांव में घुसने नहीं देंगे। वोट बहिष्कार रहेगा। बरसात में गांव के बच्चे बूढ़े और महिलाओ को काफी परेशानी होती है अगर किसी को अस्पताल जाना पड़ता है तो काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है जिला प्रशासन से हमारी मांग है कि गांव में पुल का निर्माण कर मूलभूत सुविधाओं से गांव को जोड़ा जाए।
पूरे मामले पर लोहरदगा के उप विकास आयुक्त दिलीप प्रताप सिंह शेखावत से इस संबंध में जब बात की गई तो सड़क और पुल से वंचित इस गांव की स्थिति से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि अब मामला संज्ञान में आया है तो ग्रामीणों की समस्या निदान के लिए कदम उठाएंगे।
वही प्रशासन के संज्ञान में बात आने के बाद गांव में पहली बार कुड़ू प्रखंड के सीओ और बीडीओ गांव पहुंच गांव की परेशानियों से अवगत हुए और अधिकारियों ने भी माना गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है